शरीर को रखना है रोगों से दूर तो करें कुंजल, जानें कुंजल विधि
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। लेकिन बावजूद इसके कई तरह के रोग शरीर में घर करने लगते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम नियमित रूप से योग करें, और योग की प्रत्येक क्रिया को अपनाएं। इनमें मेडिटेशन, प्रणायाम, योगासन, जलनेती और कुंजल विधि शामिल है। लेकिन कुछ लोग कुंजल विधि के बारे में अधिक नहीं जानते हैं। इसे कैसे करें और कब करें इसको लेकर लोगों में संशय बना रहता है।
आइए जानते हैं कि कुंजल क्या है। इसे कैसे करें और इसे करते समय कौनसी सावधानियां रखें।
कुंजल से पहले की तैयारी
कुंजल योग की एक क्रिया है। इसे सुबह के समय खाली पेट किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले गुनगुने पानी में थोड़ा नमक डालें और एक जग में भरकर रख लें। इसके बाद साफ कपड़े से इसे छान लें। ध्यान रहें कि हाथ अच्छी तरह से धुलें हों और नाखून भी कटे हुए हों।
ऐसे करें कुंजल
इसे करने के लिए कागासन की अवस्था में बैठें और दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। इस स्थिति में बैठकर अपनी क्षमता के अनुसार लगातार 4-5 गिलास गुनगुना नमकीन पानी पीएं। इसके बाद खड़े हो जाएं और दोनों पैर आपस में जोड़ लें। फिर थोड़ा झुक जाएं और बायां हाथ पेट पर रखें। दायें हाथ की दो अंगुलियां गले में डालें और पानी बाहर निकालने की कोशिश करें। इसके बाद पूरा पानी मुंह से बाहर निकाल दें। इस तरह दो-तीन बार इस क्रिया को करें।
कुंजल करने के फायदे
-कुंजल करने से पाचन और श्वसन तंत्र की सफाई होती है।
-शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलने में मदद मिलती है।
-इससे पेट की मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं और शरीर बेहतर तरीके से कार्य करता है।
-इससे शरीर की अतिरिक्त वसा नष्ट होती है साथ ही वजन घटाने में भी मदद मिलती हैं।
-यह पेट की अम्लीयता को कम व दूर करने में अहम अहम भूमिका निभाता है।
-दमा रोगियों को कुंजल करने से विशेष लाभ मिलता है। दमा का दौरा पड़ते समय कुंजल करना अच्छा माना जाता है।
कुंजल करते समय रखें सावधानियां
-इस विधि को करते समय पानी को बाहर निकालते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। पानी बाहर निकालते समय ध्यान रहे कि गर्दन आधी झुकी स्थिति में रहे।
-खड़े होकर जल का सेवन नहीं करना चाहिए।
-इसके लिए गुनगुने जल का ही सेवन करना चाहिए।
-यह क्रिया करने के दो घंटे बाद ही स्नान करना चाहिए।
-इसे करने के लिए सूर्योदय से 2 घंटे पूर्व का समय सही होता है।
-इसे करने से पहले नित्यकर्म से निवृत्त होना जरूरी है।
-हृदय रोग के रोगियों को विशेषज्ञ की सलाह पर कुंजल करना चाहिए।
-शुरूआत में इसे लगातार 40 दिन तक करें। इसके बाद सप्ताह में एक बार ही कुंजल करें।
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