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Holi 2024: होलिका दहन के लिए मिलेंगे महज सवा घंटे, कब रहेगा भद्रा का साया, जानें पूरी डिटेल

11:39 AM Mar 23, 2024 IST | Sanjay Raiswal

Holika Dahan Shubh Muhurat 2024 : होली रंगों और हंसी-खुशी का त्योहार है। यह पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन के प्रतीक के रूप में रंगों के साथ मनाई जाती है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन की जाती है। इसके अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंगों वाली होली खेली जाती है। होली को धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन में सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और आसपास सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस बार होली पर चंद्र ग्रहण और होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। 100 साल बाद होली और चंद्र ग्रहण दोनों ही एक ही दिन है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और भद्रा का साया कब रहेगा, आइए जानते है।

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 2024…

वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 9:55 बजे से आरंभ हो जाएगी। जो 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:30 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में करना शुभ माना जाता है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग और ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार, इस बार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11:14 बजे से लेकर 12:20 बजे तक रहेगा। यानी इस दौरान होलिका करना शुभ रहेगा।

होलिका दहन पर भद्रा का साया

इस साल होलिका दहन 24 मार्च, सोमवार को किया जाएगा। लेकिन, होलिका दहन के दिन भद्रा साया रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित होता है। पंचांग के मुताबिक 24 मार्च को सुबह से भद्राकाल लग जाएगी। इस दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 9:54 बजे से हो रही है, जो रात 11:13 बजे तक रहेगी। इस तरह से भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है।

जानिए-24 मार्च को भद्रा कब से कब तक रहेगा

भद्रा पूंछ- शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात्रि 07 बजकर 53 मिनट तक।
भद्रा मुख- रात्रि 07 बजकर 53 मिनट से रात्रि 10 बजकर 06 मिनट तक।

100 साल बाद होली और चंद्र ग्रहण एक साथ

इस साल होली पर चंद्र ग्रहण का भी साया रहेगा। चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10.23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3.02 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

होली का महत्व…

होली मनाने के पीछे सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है कि यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। होलिका दहन के बाद ही होली मनाई जाती है। हिरण्यकश्यप के मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए। उसी दिन से होली को जलाने और भक्त प्रहलाद के बचने की खुशी में अगले दिन रंग गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हो गई। इस प्रकार होली श्री विष्णु भक्त प्रह्लाद के बच जाने की खुशी में भी मनाई जाती है।

पुराणों के अनुसार, प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस था। जो भगवान विष्णु का कट्टर दुश्मन माना जाता था। लेकिन, उसका खुद का बेटा प्रह्लाद विष्णुजी का सबसे बड़ा भक्त था। उसकी भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप बहुत कुपित रहा करता था। वह चाहता था कि प्रह्लाद उसकी शक्ति को माने और विष्णु की पूजा न करके उसकी पूजा करे। प्रह्लाद ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए।

उनकी बुआ होलिका जिसको ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहन कर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी। होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई। भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति के फलस्वरूप होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। शक्ति पर भक्ति की जीत की खुशी में यह पर्व मनाया जाने लगा। साथ में रंगों का पर्व यह सन्देश देता है कि काम, क्रोध, मद, मोह एवं लोभ रुपी दोषों को त्यागकर ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए।

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