Hindaun Vidhan Sabha: हर बार पार्टी और विधायक बदलने का रीवाज, क्या है सियासी समीकरण
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मध्यनजर लगातार राजनीति पार्टियां 2023 में अपनी सरकार बनाने को लेकर जोरों शोरों से तैयारियों में जुटी है। इस बीच सच बेधड़क भी आपको लगातार राजस्थान की 200 विधानसभा सीट को लेकर प्रत्येक सीट के समीकरण बता रहा है। इस बीच आज हम आपको करौली जिले की हिंडौन विधानसभा सीट के बारें में जानकारी देगे। यहां पर सियासी समीकरण क्या है? आइए जानते है…
हर बार पार्टी और विधायक दोनो बदले
राजस्थान के करौली जिले की हिंडौन विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। हिंडौन विधानसभा क्षेत्र की जनता ने हर चुनाव में अपना विधायक और पार्टी बदलती नजर आती है। 1972 के बाद से क्षेत्र की जनता ने किसी को दोबारा विधायक बनने का मौका नहीं दिया। 1972 के बाद जब भी विधानसभा चुनाव हुआ तो वहां के विधायक को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
पिछले तीन चुनाव के समीकरण
- वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने भरोसी लाल पर ही भरोसा जताया। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया। बीजेपी ने मंजू खैरवाल को टिकट दिया। इस चुनाव में भरोसी लाल ने मंजू खैरवाल को हराया। भरोसी लाल को कुल 1 लाख 4 हजार 694 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहीं मंजू खैरवाल को कुल 77 हजार 914 वोट मिले।
- 2013 के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने 2008 के उम्मीदवारों को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांग्रेस ने भरोसी लाल और भारतीय जनता पार्टी ने राजकुमारी को मैदान में उतारा। इस चुनाव में राजकुमारी ने भरोसी लाल को हराया था। राजकुमारी को कुल 59 हजार 59 वोट मिले जबकि भरोसी लाल को कुल 50 हजार 948 वोट मिले।
- 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भरोसीलाल जाटव ने जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी से राजकुमारी दूसरे नंबर पर रही थी।
बीजेपी ने राजकुमारी को उतारा मैदान में
भाजपा ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने 41 प्रत्याशियों की लिस्ट में करौली की हिंडौन विधानसभा से राजकुमारी जाटव को उम्मीदवार बनाया है। इधर, भाजपा उम्मीदवार राजकुमारी जाटव को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से लगातार उनके खिलाफ जमकर प्रदर्शन हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व से भाजपा प्रत्याशी को बदलने की मांग कर रहे है।
यहां बीजेपी की राह कठिन
विधानसभा चुनाव में भरतपुर संभाग से पिछले चुनाव में बीजेपी पार्टी का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया था। यहीं कारण है कि 2023 के चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व भरतपुर संभाग पर फोकस दे रहा है। पूर्वी राजस्थान में आने की वजह से अबकि बार यहां पर ईआरसीपी का मुद्दा भी बीजेपी पर हावी होने वाला है।