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'वो बख्‍शे नहीं जाए...' PM मोदी ने गाजा के अस्पताल हमले पर जताया दुख, बोले- ये गंभीर चिंता का विषय

इजराइल-हमास के बीच शुरू हुई जंग का आज 10वां दिन है। मंगलवार देर रात गाजा के अहली अरब सिटी हॉस्पिटल पर रॉकेट अटैक हुआ। अब इस हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी है।
03:53 PM Oct 18, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
 वो बख्‍शे नहीं जाए     pm मोदी ने गाजा के अस्पताल हमले पर जताया दुख  बोले  ये गंभीर चिंता का विषय

Israel Hamas War: इजराइल-हमास के बीच शुरू हुई जंग का आज 10वां दिन है। हमास द्वारा किए गए हमले का इजरायल भी मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। मंगलवार देर रात गाजा के अहली अरब सिटी हॉस्पिटल पर रॉकेट अटैक हुआ। इस हमले में करीब 500 लोगों की मौत हो गई। अब इस हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीटर (एक्स) पर लिखा है कि इस मामले में जो भी गुनहगार है, उनको बख्शा नहीं जाए।

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PM मोदी की पहली प्रतिक्रिया

एक्स पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि "गाजा के अल अहली अस्पताल में लोगों की मौत से गहरा दु:ख हुआ है। मृतकों के परिवारों के प्रति हमारी संवेदना है और हम घायलों के जल्द ही स्वस्थ्य होने की प्रार्थना कर रहे हैं। इस युद्ध में आम नागरिकों की मौत होना गंभीर चिंता का विषय है। इस हमले के पीछे जो लोग जिम्मेदार हैं, उनको बख्शा नहीं जाना चाहिए।"

75 सालों से चल रहा विवाद

दरअसल, इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष की कहानी 75 साल पुरानी है। प्रथम विश्व युद्ध से पहले इजराइल तुर्की का हिस्सा था। जिसे ओटोमन साम्राज्य के नाम से जाना जाता था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्की ने अपने मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध खड़े देशों का पक्ष लिया, जिसके कारण तुर्की और ब्रिटेन के बीच तनाव पैदा हो गया। दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया और ब्रिटेन ने इस युद्ध में जीत हासिल कर ओटोमन साम्राज्य को ख़त्म कर दिया।

इसके बाद यहूदी ज़ायोनीवाद की भावना से भर गए, जो एक स्वतंत्र यहूदी राज्य बनाना चाहते थे। इससे दुनिया भर से यहूदी फ़िलिस्तीन आने लगे और ब्रिटेन ने यहूदियों का पूरा समर्थन किया। इसके साथ ही वह फ़िलिस्तीन को यहूदियों की मातृभूमि बनाने में सहायता करने लगा, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन बहुत कमजोर हो गया।

जिसके कारण फ़िलिस्तीन आने वाले यहूदियों को दी जाने वाली सहायता कम कर दी गई। इसके बाद अन्य देशों ने ब्रिटेन पर यहूदियों के पुनर्वास के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। ब्रिटेन ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया और मामला 1945 में गठित संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के पास चला गया।

हमास और इजराइल के बीच क्यों शुरू हुआ विवाद?

  • विवाद का पहला कारण वेस्ट बैंक है। दरअसल, वेस्ट बैंक इजराइल और जॉर्डन के बीच है, 1967 के युद्ध में इजराइल ने इस पर कब्जा कर लिया था, लेकिन इजराइल और फिलिस्तीन दोनों ही इस इलाके पर अपना हक जताते हैं।
  • इसके साथ ही गाजा पट्टी भी दोनों देशों के बीच विवाद का कारण है। ये वो जगह है जो इजराइल और मिस्र के बीच है, जिस पर हमास का कब्जा है। दरअसल, सितंबर 2005 में इजराइल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना हटा ली थी। दो साल बाद यानी 2007 में इजराइल ने इस इलाके पर कई प्रतिबंध लगा दिए।
  • वहीं, सीरिया का पठार गोलान हाइट्स भी दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण रहा है। कहा जाता है कि गोलान पर 1967 से ही इजरायल का कब्जा है। इस कब्जे को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत हुई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
  • इसके अलावा पूर्वी येरुशलम में नागरिकता को लेकर दोहरी नीति भी हमास और इजराइल के बीच विवाद का कारण रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1967 में पूर्वी येरुशलम पर कब्जे के बाद इजराइल यहां जन्मे यहूदी लोगों को तो इजराइली नागरिक मानता है, लेकिन इसी इलाके में जन्मे फिलिस्तीनी लोगों को कुछ शर्तों के साथ यहां रहने की इजाजत है। जिसमें यह शर्त भी शामिल है कि तय समय से ज्यादा समय तक बाहर रहने पर फिलिस्तीनी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी। इजराइल की इस नीति की कई बार आलोचना हो चुकी है।

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