मिर्धा बनाम बेनीवाल की 40 साल पुरानी जंग का गवाह है खींवसर! अब वहीं से चुनावी मैदान में उतरे बेनीवाल
Rajasthan Election 2023: आजाद समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन के एक दिन बाद ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है। पहली लिस्ट में 10 उम्मीदवारों के नाम है। जिनमें से आरपीएल चीफ व लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल खींवसर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर मिर्धा बनाम बेनीवाल परिवार की चुनावी लड़ाई काफी पूरानी है।
मिर्धा बनाम बेनीवाल
इस सीट को लेकर बेनीवाल और मिर्धा की लड़ाई करीब 40 साल पुरानी है। 1980 में हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव ने हरेंद्र मिर्धा को हराया था। वहीं, 1985 में रामदेव ने मिर्धा को हराया था। वहीं, हरेंद्र मिर्धा को रामदेव के बेटे नारायण बेनीवाल ने हरा दिया।
जातीय समीकरण
2008 से पहले मुंडवा और बाद में खींवसर के नाम से मशहूर खींवसर सीट पर शुरू से ही जाट समुदाय का दबदबा देखने को मिलता रहा है। इसके अलावा यहां पर दलित मतदाताओं की भी अच्छी संख्या हैं। ऐसे में दलित मतदाता भी चुनाव में जीत-हार में निर्णायक भूमिका रखते हैं।
2018 हनुमान बेनीवाल मैदान में
2018 के विधानसभा चुनाव आते-आते हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का उदय हो गया। बेनीवाल ने खींवसर से अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा, जबकि सवाई सिंह चौधरी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा। वहीं, बीजेपी ने रामचन्द्र को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में एक बार फिर हनुमान बेनीवाल की जीत हुई।
हालांकि, बाद में 2019 के चुनाव में बेनीवाल ने नागौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बेनीवाल के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। बीजेपी ने आरएलपी को समर्थन दे दिया था। इस चुनाव में नारायण बेनीवाल ने हरेंद्र मिर्धा को 4630 वोटों से हराया और नारायण बेनीवाल की जीत हुई।
रावण के साथ से मजबूत हुए बेनीवाल
खींवसर जाट बहुल सीट मानी जाती है। यहां ज्यादातर मतदाता जाट समुदाय के हैं। यहां दलित वर्ग के मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में दलित मतदाता भी जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हनुमान बेनीवाल जाट समुदाय में काफी लोकप्रिय नेता हैं। इसी के साथ उनको आजाद सामाज पार्टी का साथ साथ और मिल गया है। ऐसे में यहां से दलित वोट बैंक भी RLP के साथ आएगा।