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राजनीति में 5 दशक से सक्रिय हैं कटारिया, अब सभांलेंगे राज्यपाल का पदभार, राठौड़ सहित कई नेताओं ने की उनके कार्यों की सराहना

01:54 PM Feb 12, 2023 IST | Supriya Sarkaar

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में करीब 5 दशक से सक्रिय और 1977 से लगातार विधानसभा के लिए चुने जाने वाले गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। राज्यपाल की जिम्मेदारी मिलने के बाद कटारिया ने कहा कि उनका कोई पारिवारिक बैकग्राउंड नहीं रहा और ना वो बहुत पैसे वाले हैं, ना उद्योगपति है। एक साधारण कार्यकर्ता है, जिसने एक साधारण कार्यकर्ता को इतना बड़ा कार्यकर्ता बनाया है। उनका कर्ज चुकाने का जीवनभर प्रयास करेंगे।

कटारिया का राजनीतिक सफर

गुलाबचंद कटारिया बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे। जनसंघ से राजनीति शुरू करने वाले कटारिया बीजेपी के शुरुआती नेताओं में से एक हैं। वो 1977 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते थे। अब तक वे 8 बार विधायक रह चुके हैं। 1989 से 1991 तक 9वीं लोकसभा के भी सदस्य रहे। वे उदयपुर से लोकसभा का चुनाव जीते। उन्हें 27 मई 1999 को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था। वो इस पद पर 19 जून 2000 तक रहे। इसके अलावा वो 1977 से 1980 तक राजस्थान में भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष और महासचिव भी रहे। वो 1980 से 1986 तक बीजेपी राजस्थान के सचिव रहे। उन्हें प्रमोशन देकर 1986 में राजस्थान बीजेपी का महासचिव बनाया गया था। वो 1993 तक महासचिव रहे।

राजे ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

अब राज्यपाल चुने जाने पर कटारिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में एक साधारण और छोटे से कार्यकर्ताओं को पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी, उसे बखूबी तरीके से निभाने का प्रयास किया। उन्होंने कभी पद नहीं मांगा, यह पार्टी का ही बड़प्पन है कि वह जो उचित समझते हैं वह जिम्मेदारी देते हैं। वहीं गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात करने पहुंची पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि पीएम ने राजस्थान से इतना अनुभवी और संजीदा व्यक्ति राज्यपाल के पद को सुशोभित करने के लिए चुना। कटारिया एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में पूरे राजस्थान को नापा है और उदयपुर डिवीजन को बहुत प्यार से संभाला है  इतना अनुभवी नेता राजस्थान में शायद ही कोई हो। साथ साथ जिस तरह से उन्होंने विधानसभा के अंदर भारतीय जनता पार्टी का पक्ष पुरजोर तरीके से रखा है, ऐसे में प्रदेश भाजपा और सभी लोग उन्हें बहुत मिस करेंगे।

पार्लियामेंट्री बोर्ड ही तय करेगा नेता प्रतिपक्ष का अगला नाम

प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि लगभग 5 दशक तक राजस्थान की राजनीति में गुलाबचंद कटारिया ने काम किया और लाखों कार्यकर्ताओं तैयार किए। गुलाबचंद कटारिया इतने साल मंत्री भी रहे और ₹1 का आरोप नहीं लगा। सभी लोग उन्हें स्नेह से और प्रेम करते हैं। प्रधानमंत्री का अभिनंदन करते हुए उन्होंने कहा कि आज गुलाब सिंह कटारिया को गवर्नर के रूप में नामित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अब नेता प्रतिपक्ष का पद खाली होगा। लेकिन अगला नेता प्रतिपक्ष कौन होगा ये पार्लियामेंट्री बोर्ड ही तय करेगा।

बीजेपी का उत्कृष्ट चरित्र है कटारिया- पूनिया

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का एक उत्कृष्ट चरित्र है। सभी कार्यकर्ताओं की योग्यता और क्षमता के आधार पर उनको मान-सम्मान भी देती है और दायित्व-जिम्मेदारियां भी देती हैं। गुलाबचंद कटारिया उन तपस्वी राजनेताओं में है जिन्होंने उत्कृष्ट स्वयंसेवक के नाते जीवन शुरू किया। जो भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती दिनों मोटरसाइकिल पर घूम कर पूरे मेवाड़ में पार्टी को धरातल पर मजबूत किया। उसके बाद वह लोकसभा में भी सदस्य रहे। लेकिन विधानसभा में सबसे लंबे कालखंड तक विधायक के रूप में चुने जाने वाले, विधानसभा के सदन में अपनी परफॉर्मेंस देने वाले राजनेताओं में से हैं। हर भूमिका में विधायक, सांसद और प्रदेश के गृहमंत्री के रूप में एक मजबूत और ईमानदार गृहमंत्री के रूप में उनकी छाप आज भी है। सदन में नेता प्रतिपक्ष के नाते जिस तरह से उन्होंने विपक्ष के एक अच्छे जनप्रतिनिधि के रूप में आक्रमक तौर पर सरकार को अनेक मुद्दों पर झुकाया, पार्टी ने इन सारी खूबियों को गौर किया और एक वरिष्ठ राजनेता को राज्यपाल के रूप में सम्मान दिया। ये अकेले कटारिया का नहीं पूरे राजस्थान के कार्यकर्ताओं का, राजस्थान के राजनेताओं का सम्मान है। उनकी नियुक्ति से राज्यपाल पद की गरिमा और बढ़ेगी।

ईमानदारी, सुचिता, कर्मठता की छाप छोड़ी- राठौड़

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया अलग-अलग पदों पर रहे और हर पद पर उन्होंने सादगी, ईमानदारी, सुचिता, कर्मठता की छाप छोड़ी राजस्थान की राजनीति में गुलाब कटारिया को लोग आदर्श राजनीतिज्ञ के रूप में मानते हैं। उनका राजस्थान की सक्रिय राजनीति से निकलकर असम के महामहिम राज्यपाल बनना, राजस्थान और विशेषकर मेवाड़ के अंदर जो कटारिया का राजनीतिक वर्चस्व था निश्चित तौर पर वहां के कार्यकर्ताओं को उनकी कमी खलेगी। लेकिन ये कह सकते हैं कि राज्यपाल का पद गुलाबचंद कटारिया के पद ग्रहण से सम्मानित होगा। अगले नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड तय करता है, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भूमिका क्या मिलती है। ये कोई अहम विषय नहीं है जिसको जो भूमिका मिली उसका निर्वहन वह करता है, निश्चित तौर पर इसका निर्णय संसदीय बोर्ड जल्द करेगा 

अध्यापन से की करियर की शुरूआत 

आपको बता दें कि गुलाबचंद कटारिया ने प्राइवेट स्कूल में अध्यापन से अपने करियर की शुरुआत की थी। उनके स्कूल में अध्यापन के दौरान ही 1975 में आपातकाल लगा। इस दौरान उन्होंने भूमिगत रहते हुए संगठन का काम किया। उन्हें जेल भी जाना पड़ा। कटारिया पहली बार 1977 में विधायक चुने गए थे। उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से एमए बीएड और एलएलबी की शिक्षा लेने वाले कटारिया अपने संसदीय जीवन में कई सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, पीडब्लूडी और गृह विभाग के मंत्री का पद संभाला है।

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