सैलानियों के लिए अच्छी खबर… ₹66 करोड़ से निखरेगी गड़ीसर लेक, नाइट टूरिज्म होगा शुरू
Gadisar Lake : जैसलमेर। स्वर्ण नगरी जैसलमेर आने वाले पर्यटकों को यहां के रेतीले धोरे सहज ही आकर्षित करते हैं। इसके चलते यहां देसी-विदेशी सैलानियों की आवक हमेशा रहती है। जैसलमेर में रेत के धोरों का आनंद लेने के साथ ही यहां का किला और हवेलियां भी पर्यटकों को लुभाते हैं। राज्य सरकार ने यहां पर्यटन को ओर बढ़ाने के लिए अब एक और योजना तैयार की है। इसके तहत अब पर्यटकों को नाईट टूरिज्म की भी सौगात जल्द मिलने वाली है।
इस योजना के तहत नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए गड़ीसर लेक की सूरत संवारी जाएगी। यहां पर 22 करोड़ रुपए की लागत से सौंंदर्यीकरण एवं विकास कार्य कराए जाएंगे। इसका शिलान्यास हाल ही में किया गया है। पीले पत्थरों के इसके हैरिटेज लुक को बरकरार रखते हुए यहां विकास कार्य कराए जाएंगे।
इसके तहत यहां टूट-फूट को ठीक करने के साथ ही हरियाली और साफसफाई के इंतजाम किए जाएंगे। साथ ही पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। गड़ीसर झील जैसलमेर की ऐतिहासिक धरोहर है। इसको देखते ही इसके संरक्षण और विकास की योजना तैयार की गई है।
वॉकिंग ट्रैक और भव्य प्रवेश द्वार बनेगा
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर के मुख्य पर्यटन स्थल गड़ीसर लेक की पाल अभी क्षतिग्रस्त है। इसकी मरम्मत कर उस पर एक वॉकिंग ट्रैक का निर्माण करवाया जाएगा। साथ ही लेक में एंट्री गेट पर पीले पत्थरों से एक भव्य प्रवेशद्वार का निर्माण किया जाएगा।
जैसलमेर आने वाले सैलानियों को नाइट टूरिज्म के तौर पर घूमने के लिए एक अच्छी जगह मिले, इस बात को ध्यान में रखकर गड़ीसर लेक को डेवलप करने की योजना तैयार की गई है। इस योजना पर कुल 66 करोड़ की डीपीआर बनाई गई है, इसके तहत पहले फे ज में 22 करोड़ रुपयों की मंजूरी मिली है। शिलान्यास होने के बाद अब जल्द ही इसका काम शुरू हो जाएगा।
राजा रावल जैसल ने कराया था निर्माण
गड़ीसर झील का निर्माण जैसलमेर के संस्थापक राजा रावल जैसल ने साल 1156 में करवाया था। बाद में साल 1367 के लगभग राजा गड़सी सिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यह एक कृत्रिम झील है, जिससे पूरे शहर की प्यास बुझाई जाती थी। ये झील अब जैसलमेर का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है, लेकिन संरक्षण के अभाव में जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रही है। झील की बदहाली देखकर यहां आने वाले सैलानियों को मायूस होकर लौटना पड़ता है।