60 शहरों में 220 मीटिंग्स…G-20 की मेजबानी कई मायनों में रही अद्वितीय, जानें-देश की इकोनॉमी को कैसे बदला?
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। दिल्ली में विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए सवा लाख से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा जी-20 समिट में शामिल होने के लिए आने वाले विदेशी मेहमानों को कोई परेशानी ना हों, इसके लिए कई जगह वाहनों एंट्री की रोक लगाई गई। साथ ही कई जगह रूट डायवर्ट किया गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि जी20 का ये उत्सव सिर्फ दो दिन का नहीं है, बल्कि एक साल से लगातार इसकी तैयारी चल रही है।
वसुधैव कुटुंबकम-'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की थीम पर होने वाली इस जी-20 बैठक की अध्यक्षता करना भारत के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं है। इसका कारण है कि इसके जरिए दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी के तौर पर उभरा भारत और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी क्षमता और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकता है। भारत की जी-20 अध्यक्षता कई मायनों में अद्वितीय रही है।
देश के 60 शहरों में हुई बैठकें
सालभर में जी20 से जुड़ी करीब 220 बैठकें देश के 60 शहरों में आयोजित की गई। इस दौरान दुनिया के अलग-अलग देशों से आए मेहमानों ने भारत के ओर-छोर को देखा। इन बैठकों में लगभग 30 हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जी-20 मीटिंग्स से संबंधित कई समारोह हुए, जिनमें 1 लाख से अधिक प्रतिभागियों और देश के सभी कोनों से नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
जी-20 लोगों के नए आयाम उभरे
जी-20 लोगों के नए आयाम उभरे और अलग-अलग तरह से इससे लोगों का जुड़ाव हुआ। विभिन्न मंत्रालयों ने सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया है। शिक्षा मंत्रालय ने जनभागीदारी कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसमें छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों सहित विभिन्न हितधारकों की उत्साहपूर्वक भागीदारी हुई। राज्य, जिला, प्रखंड, पंचायत और विद्यालय स्तर पर आयोजित इन कार्यक्रमों ने जी-20 ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और बुनियादी शिक्षा और अंकगणित के बारे में जागरूकता पैदा की।
1.5 करोड़ लोगों को हुआ फायदा
हाल ही में पीएम मोदी ने कहा कि जी20 की बैठकें अलग-अलग शहरों में होने के दौरान करीब 1.5 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह इससे जुड़े काम में शामिल हुए। इतने बड़े स्तर के इंवेंट से जुड़ने पर उनके अंदर एक अलग आत्मसम्मान पैदा होता है। गैर-मेट्रो शहरों के लोगों को पहले ये अनुभव नहीं मिल पाता था। इन बैठकों में 125 नेशनलटीज के 1 लाख से ज्यादा लोगों ने भारत के अलग-अलग हिस्सों को देखा। इसका असर भारत की इकोनॉमी, उन शहरों की और राज्यों की इकोनॉमी पर पड़ा जहां ये प्रतिनिधि गए। ये सभी मौके पर्यटन से आय बढ़ाने में मददगार होने वाले हैं।
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