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राजधानी फतह के लिए दोनों पार्टियों में जिताऊ चेहरा ढूंढ़ने की कवायद

विधानसभा चुनावों की रणभेरी बजे चार दिन हो चुके हैं लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली सूची का इंतजार है। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से कांग्रेस और भाजपा के लिए ये विधानसभा चुनाव जीतना जरूरी है। लेकिन चुनाव जीतने के लिए जिताऊ चेहरे जरूरी हैं।
10:48 AM Oct 13, 2023 IST | BHUP SINGH

लोकेश ओला, जयपुर। विधानसभा चुनावों की रणभेरी बजे चार दिन हो चुके हैं लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली सूची का इंतजार है। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से कांग्रेस और भाजपा के लिए ये विधानसभा चुनाव जीतना जरूरी है। लेकिन चुनाव जीतने के लिए जिताऊ चेहरे जरूरी हैं। कांग्रेस सरकार के कामकाज का दम भर रही है। भाजपा की पहली सूची के बाद फिर से हर सीट के लिए रणनीति बनाई जा रही है। ऐसे में हर वर्ग को साधने और भाजपा के दिग्गजों को टक्कर देने के लिए हर एंगल से नई रणनीति बनाई जा रही है।

कांग्रेस पार्टी इस बार भी विधानसभा चुनावों में जातिगत ताना बाना बुनते उम्मीदवार मैदान में उतारना चाहती है। लेकिन भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद अब कुछ फेरबदल की तैयारी में है। भाजपा ने जयपुर की 19 विधानसभा सीटों में से पांच सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा ने जिन दो सीटों पर राजपूत को टिकट दिया है वहां पिछले तीन चुनावों से राजपूत को ही टिकट देती आई है लेकिन कोटपूतली से इस बार सामान्य वर्ग की बजाय गुर्जर को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा के इन दावेदारों के सामने मजबूत और जातिगत फैक्टर में फिट बैठने वाले चेहरे को मैदान में उतारना चाहती है।

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इस बार पैटर्न में बदलाव की तैयारी

पॉलिटिकल पार्टियां टिकटों का समीकरण विधानसभा क्षेत्र में वोटर्स के जातिगत समीकरणों को देखते हुए करती हैं। जयपुर जिले की 19 सीटों की बात करें तो जयपुर ग्रामीण और जयपुर शहर के वोटर्स के अनुसार टिकट तय किये जाते रहे हैं। जयपुर शहर की 8 विधानसभा सीटों की बात करें तो 2018 में कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत मिली। जिनमे दो माइनॉरिटी, एक राजपूत, एक ब्राह्मण और एक एससी रिजर्व जीतकर आए जबकि तीन सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार रहे। ऐसे में इस बार विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी विशेष रणनीति बना रही है। 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने जयपुर की 19 विधानसभा सीटों पर जातिगत रणनीति बनाते हुए चार ब्राह्मण, दो जाट, दो यादव, दो मुस्लिम, एक राजपूत, एक जैन, एक माली और एक गुर्जर सहित तीन एससी और दो एसटी रिजर्व को मैदान में उतारा था।

रणनीति के अनुसार दी गई टिकटों से कांग्रेस को 19 में से 10 सीटों पर जीत मिली। जिसमे जाट,यादव, गुर्जर, राजपूत, मीणा, ब्राह्मण एक-एक जीते, वहीं मुस्लिम दो और एससी की दो सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई। हालांकि तीन सीटों से कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़े उम्मीदवार भी जीतकर आए और बाद में कांग्रेस को ही समर्थन दिया। लेकिन इस बार इस जातिगत समीकरण के पैटर्न में कु छ बदलाव को लेकर कांग्रेस चर्चा कर रही है। कांग्रेस में अंदरखाने चर्चा है कि ब्राह्मणों को चार सीट देने के बाद भी मात्र एक सीट से जीत मिली इसकके चलते इस बार फे रबदल करना जरूरी है।

सिविल लाइंस में परंपरा तोड़ने की कवायद

बात करेंसिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र की तो यहां एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की परम्परा बनी हुई है। दो बार विधायक बन चुके प्रताप सिंह खाचरियावास सिविल लाइंस से ही दावेदारी कर रहे हैं लेकिन जातिगत समीकरणों के अनुसार आलाकमान टिकट तय करेगा। यहां पार्टी इस परंपरा को तोड़ने की कवायद में जुटी है। विद्याधर नगर, मालवीय नगर और सांगानेर से लगातार हार रही कांग्रेस की यहां इस बार भी नई रणनीति होगी। शहर की आठ सीटों में से तीन ब्राह्मण को देने के बाद भी एक सीट जीतने पर इस बार कांग्रेस कु छ नया प्रयोग करेगी। राजपूत सीट विद्याधर नगर से एक बार राजपूत और वैश्य वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस एक बार वैश्य को टिकट दे चुकी।

वहीं मालवीय नगर और सांगानेर से लगातार ब्राह्मण को टिकट देने के बाद भी हार रही पार्टी इस बार विद्याधर नगर, मालवीय नगर, और सांगानेर सीट को साधने के लिए दो सीटों पर वैश्य और एक सीट पर ब्राह्मण पर दांव खेलना चाहती है। वहीं एससी रिजर्व सीट बगरू में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की इस परम्परा को तोड़ने के लिए चेहरे में बदलाव कर सकती है।

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हवामहल में ब्राह्मण पर ही दांव !

जयपुर शहर की आठ विधानसभा सीटों की बात करें तो हवामहल विधानसभा सीट से कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतार रही हैं और लगातार ब्राह्मण उम्मीदवार जीत रहा है। हवामहल के बीते तीन बार के नतीजों में 2008 में कांग्रेस के ब्रजकिशोर शर्मा, 2013 में भाजपा के सुरेंद्र पारीक और 2018 में कांग्रेस के महेश जोशी ने जीत हासिल की। ऐसे में ब्राह्मण सीट का ठप्पा लगा होने के कारण कांग्रेस इस बार भी ब्राह्मण पर दांव खेल सकती है। वहीं माइनॉरिटी बाहुल्य किशनपोल और आदर्श नगर दोनों विधानसभा सीटेंफिलहाल कांग्रेस के खाते में हैं। लेकिन 2008, 2013 में लगातार भाजपा के मोहनलाल गुप्ता और अशोक परनामी ने जीत दर्ज की थी।

2018 के चुनावों में किशनपोल से कांग्रेस के उम्मीदवार अमीन कागजी 2013 में हारने के बाद जीतकर आए। वहीं आदर्श नगर से कांग्रेस ने पैराशूट उम्मीदवार रफीक खान ने लगातार जीत रहे अशोक परनामी को पटखनी दी। इस बार किशनपोल में माइनॉरिटी के वोट बढ़ने और अन्य सीट सिविल लाइन, विद्याधर नगर और सांगानेर में भी माइनोरिटी के वोट साधने के लिए कांग्रेस दो सीटों पर दांव खेल सकती है। हालांकि चेहरे को लेकर कांग्रेस अंदरखाने कई चर्चा कर रही है।

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