देवउठनी ग्यारस पर अबूझ सावे..बूथ पर कैसे आएंगे वोटर्स? राजस्थान में उठी चुनाव तारीख बदलने की मांग
Rajasthan Assembly Election 2023: जयपुर। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीख घोषित होने के साथ ही इसमें बदलाव की मांग उठने लगी है। इसके लिए विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने निर्वाचन आयोग और केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। इसके पीछे कारण यह है कि इस दिन देवउठनी एकादशी है।
सामाजिक और धार्मिक संगठनों का कहना है कि इस दिन अकेले जयपुर शहर में 20 हजार से अधिक शदियां संभावित हैं तो प्रदेशभर में कितने विवाह होंगे, सोचा जा सकता है। इसके अलावा पुष्कर और खाटूश्याम जी में मेला भरेगा। ऐसे में समस्या यह होगी कि लोग सावे और मेले साधेंगे या वोट देने जाएंगे।
ऐसे में मतदान प्रतिशत कम रहने की आशंका संगठनों की ओर से जताई गई है। हालांकि, इसको लेकर अभी तक भारत चुनाव आयोग की ओर से किसी प्रकार का कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन लोगों की मांग को देखते हुए जल्द ही आयोग इस मामले में बैठक कर सकता है।
चुनावों की तारीख पर पुनर्विचार करे आयोग
विप्र फाउंडेशन ने राजस्थान में चुनाव की तारीख बदलने की मांग की है। फाउंडेशन ने भी देवउठनी एकादशी का हवाला देते हुए इस तारीख को अव्यवहारिक बताया है और इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशील ओझा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि देवउठनी एकादशी के चलते राजस्थान में शादियों की भरमार रहेगी और लाखों लोग शादी-ब्याह में बिजी रहेंगे, जो मतदान करने से वंचित रह जाएं गे।
देवउठनी ग्यारस पर चुनाव होने से बढ़ेगी मंहगाई
आल इंडिया टेंट डेकोरट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि जिंदल ने बताया कि देव उठनी ग्यारस का सबसे बड़ा सावा होता है। शहर में करीब 20 हजार शादियां होंगी, अभी से ही शहर के गार्डन भी बुक हो चुके है। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत परिवहन के साधन और लेबर की आएगी।
शहर में अधिकतर मजदूर दूसरे जिले से आते हैं। चुनाव में प्रत्याशी मजदूरों को अपने खर्चें पर गांव वोट देने के लिए बुला लेता है। ऐसे में शादी की तैयारियों में परेशानी आएगी। मजदूर महंगे मिलेंगे। जहां आमतौर पर 600 की दिहाड़ी में मजदूर आता है, वहीं उस दिन 1000 तक में मजदूर मिलेंगे।
प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी होगा असर
देवउठनी एकादशी पर होने वाली शादियों और मेले के कारण प्रशासन को भी काफी परेशानी उठाना पड़ेगी। जहां, एक तरफ शादियां होने से सरकारी कर्मचारी चुनाव की ड्यूटी नहीं कर पाएंगे,वहीं दूसरी ओर परिवहन के साधनों का भी टोटा पड़ने की आशंका रहेगी।
दरअसल चुनाव के कारण आरटीओ परिवहन के साधनों को पांच दिन पहले ही अधिग्रहण कर लेता है। ऐसे में जिन वाहन मालिकों ने शादी की बुकिंग ले ली हैं, उनके लिए परेशानी आ जाएगी। वहीं, अबूझ सावे के कारण सड़कों पर बारातों का हुजूम रहेगा।
पुष्कर और खाटू में भरेगा मेला
देव उठनी ग्यारस पर पुष्कर राज में विख्यात मेला भी लगता है। वहीं, कार्तिक माह में स्नान करने वाली महिलाओं के लिए भी पुष्कर स्नान महत्व रहता है। इसलिए महिलाओं की वोटिंग पर भी बड़ा असर हो सकता है और मतदान कम होने की आशंका है। वहीं, खाटूश्याम जी का जन्मदिवस होने के कारण भी लोग मतदान से वंचित रह सकते हैं।
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