होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

हे यमुना माई…दिल्ली में 'जलप्रलय' ने याद दिलाया 1978 का खौफ, जब सैलाब में समा गई थी राजधानी

दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जहां गुरुवार को सुबह 8 बजे तक पानी का स्तर रिकॉर्ड 208.48 मीटर पर पहुंच गया.
12:56 PM Jul 13, 2023 IST | Avdhesh

Delhi Flood: देश की राजधानी और दिल हमारी दिल्ली इस समय बाढ़ के खतरे से जूझ रही है जहां भारी बारिश और बैराज हथिनी कुंड से छोड़े गए पानी के बाद जलप्रलय आने जैसे हालात बन गए है. वहीं पिछले 2 दिनों से दिल्ली में यमुना नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है जहां गुरुवार को सुबह 8 बजे तक पानी का स्तर रिकॉर्ड 208.48 मीटर पर पहुंच गया है जिसके शाम 4 बजे तक 208.75 मीटर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है.

यमुना में पानी बढ़ने की वजह से ही दिल्ली में बाढ़ के हालात बने हैं और यमुना के आसपास के कई निचले इलाके पानी की चपेट में आ गए हैं. यमुना के इस उफान को देखते हुए राजधानी के लोगों के जहन में 45 साल पुरानी दु:खद यादें ताजा हो गई है जब 1978 में दिल्ली में पानी का कहर देखने को मिला था. बता दें कि दिल्ली में इससे पहले बाढ़ का ऐसा नजारा साल 1978 में देखा था जब पानी के खौफ में दिल्ली समा गई थी.

हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया था 7 लाख क्यूसेक पानी

बता दें कि 6 सितंबर 1978 को दिल्ली के कई इलाकों में अचानक से पानी घुसने लगा और देखते ही देखते घर डूबने लगे और लोगों में अफरातफरी मच गई. वहीं कुछ ही देर में चारों तरफ चिल्लाहट और खौफ पसरा हुआ था और शाम होते-होते कई फीट तक पानी बढ़ गया था. वहीं लोग अपने घर छोड़ कर जाने लगे जहां फिर सेना को बुलाया गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय राजधानी में यह हालात थे कि शहर में आपातकाल जैसी स्थिति हो गई थी और सरकार की ओर से यमुना के ऊपर सभी पुल बंद करने पड़े थे. वहीं बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों की मदद करने सेना के जवान उतरे. बताते हैं कि उस दौरान दिल्ली से 227 किमी दूर हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से करीब 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था.

फसलें हुई थी बर्बाद, छिने लोगों के घर

वहीं 1978 में आए जल प्रलय के बाद बाहरी दिल्ली की करीब 40 हजार वर्ग किलोमीटर अधिक की खेती की भूमि बर्बाद हो गई थी और फसलों को काफी नुकसान हुआ था. उस समय के सरकारी आंकड़ों का कहना है कि बाढ़ के हालातों से 18 लोगों की मौत हुई थी और बाढ़ के चलते लाखों लोग बेघर हो गए थे.

गौरतलब है कि यमुना में खतरे का निशान 1866-67 में शुरू हुए पुराने रेल पुल की ऊंचाई के हिसाब से तय किया गया था. वहीं उस दौरान जो बांध बनाए गए थे वह कम तीव्रता वाली बाढ़ रोकने के लिए काम आ सकते ते. वहीं जब 1978 में बाढ़ का आलम पसरा तो यहां के बांध 207.49 मीटर तक भी जलस्तर नहीं झेल पाए और पानी दिल्ली के कई इलाकों में घुस गया.

Next Article