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बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर बदलेगा मौसम का मिजाज! मानवेन्द्र सिंह BJP जॉइन करने की अटकलें!

2018 में कांग्रेस का दामन थामने वाले मानवेन्द्र सिंह जसोल के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गई है.
03:25 PM Jan 04, 2024 IST | Avdhesh

Manvendra Singh Jasol: राजस्थान के सीमावर्ती इलाके की सियासत के जाने-माने नाम कर्नल मानवेन्द्र सिंह जसोल एक बार फिर सुर्खियों में हैं जहां 2018 में कांग्रेस का दामन थामने वाले मानवेन्द्र की घर वापसी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. माना जा रहा है कि जसोल आने वाले दिनों में बीजेपी जॉइन कर सकते हैं. हाल में मानवेन्द्र से जब बीजेपी में जाने को लेकर मीडिया में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी देखते हैं कि मौसम का मिजाज क्या रहता है.

हालांकि उन्होंने आगे कहा कि मेरे समर्थक ही फैसला करेंगे कि क्या करना है. हालांकि जसोल के बीजेपी में जाने से सीमाई इलाके के राजनीतिक समीकरण एक बार फिर बदल सकते हैं. मालूम हो कि मानवेन्द्र ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर बाड़मेर-जैसलमेर से लड़ा था जहां वह बीजेपी के कैलाश चौधरी के सामने बड़े अंतर से हारे थे.

मलमास के बाद थाम सकते हैं कमल का फूल!

जानकारों का कहना है कि बीजेपी की सरकार आते ही मानवेंद्र सिंह के बीजेपी में आने की अटकलें तेज हो गई थी जहां उनके परिवार की अनबन वसुंधरा राजे से थी और पार्टी आलाकमान ने इस बार राजे को सरकार में किसी तरह से शामिल नहीं किया है ऐसे में माना जा रहा है कि जसोल की बीजेपी के नेताओं से दिल्ली में बातचीत चल रही है और वह मलमास के बाद फिर से बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

इसके अलावा जसोल की कांग्रेस से नाराजगी भी हो गई है जहां वह इस बार सिवाना से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें वहां से ही टिकट मिला और वह हार गए.कर्नल इस बार विधानसभा चुनाव 2023 जैसलमेर से लड़ना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी.

राजे-जसोल परिवार की जंग!

मालूम हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में दिवंगत नेता जसवंत सिंह जसोल बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उस दौरान सीएम वसुंधरा राजे ने कांग्रेस से कर्नल सोनाराम चौधरी को बीजेपी में शामिल करवा कर उन्हें टिकट दिलाया और इस दिन के बाद से ही राजे और जसोल परिवार के बीच अदावत शुरू हो गई.

वहीं जसवंत सिंह के निधन के बाद उनके बेटे ने 2018 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने का फैसला किया लेकिन कांग्रेस में जाने के बाद वह लगातार दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव हारे.

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