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राजस्थान में अब यूनिवर्सल सिविल कोड की तेज हुई सुगबुगाहट, कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने दिया बड़ा बयान

राजस्थान में अब यूनिवर्सल सिविल कोड की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सबसे ज्यादा इसके सपोर्ट में हैं और जल्द ही UCC को प्रदेश में लागू किया जाएगा।
12:10 PM Feb 07, 2024 IST | Anil Prajapat

Uniform Civil Code : जयपुर। केंद्र की बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के पक्ष में रही है। केंद्र भी इसे लागू करने के पक्ष में है, लेकिन अब तक इस पर पूरी चर्चा नहीं हो पाई। वहीं, उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी को लागू करने की तैयारी कर ली है। अब इसके बाद से देश के बीजेपी शासित राज्यों में धीरे-धीरे इसे लागू करने होने लगी है। इस मामले में राजस्थान सरकार तैयारियों में आगे दिख रही है। कहा जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सबसे ज्यादा इसके सपोर्ट में हैं और जल्द ही UCC को प्रदेश में लागू किया जाएगा।

दरअसल, गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तंजीम मेरानी को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक चिट्ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने राजस्थान में यूसीसी लाने का जिक्र किया है। मंत्री दिलावर ने लिखा कि यूसीसी को लेकर ड्राफ्ट कमेटी बनाने का विषय जल्द ही मंत्रिपरिषद की बैठक में रखा जाएगा और संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तंजीम मेरानी जयपुर में यूसीसी को लेकर धरना दे चुकी है। साथ ही इसके लिए मंत्री दिलावर को भी पत्र लिख चुकी है।

सरकार आज नहीं तो कल यूसीसी जरूर लाएगी

जिसके जवाब में मंत्री दिलावर ने कहा कि सबके लिए समान कानून होना ही चाहिए। अलग-अलग कानून होते हैं तो उससे नुकसान होता हैं। इससे एकरूपता व एकता दिखाई नहीं देती। पूरा देश एक होना चाहिए, एकरूपता हो। उन्होंने कहा कि सरकार आज नहीं तो कल यूसीसी जरूर लाएगी। लेकिन, यह नहीं कहा जा सकता कि कब आएगा। लेकिन, उन्होंने यह जरूर कहा कि यूसीसी के लिए ड्राफ्ट कमेटी बनाने का प्रस्ताव जल्द कैबिनेट मीटिंग में रखा जा सकता है।

क्या है यूसीसी?

समान नागरिक संहिता यानी यूनिवर्सल सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर अभी देश में कोई कानून नहीं है। लेकिन, उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी विधेयक विधानसभा में पेश किया है। यूसीसी के तहत सभी नागरिकों के लिए समान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होते है, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।

क्या है इस कानून के फायदे?

-तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
-तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।
-गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
-संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।
-अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
-सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी।
-लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा।
-प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी।
-एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा और बहु पत्नी प्रथा पर ब्रेक लगेगा।

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