Bundi Vidhan Sabha: हैट्रिक के बाद भी बीजेपी को क्यों सता रहा हार डर, क्या कांग्रेस 15 साल का इतिहास बदल पाएगी?
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का रण पूरी तरह तैयार है। ऐसे में बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं। चुनाव से पहले हम राजस्थान की ऐसी विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं, जिसका चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। यहां प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से एक सीट बूंदी विधानसभा की बात की जा रही है। क्योंकि, इस सीट पर बीजेपी ने जीत की हैट्रिक तो लगाई है लेकिन, पिछले चुनाव में पार्टी को महज 713 वोटों से जीत मिली थी। इसलिए यहां पर पार्टी बेहद ही अलर्ट दिख रही है। इस बार पार्टी यहां कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
ओम बिड़ला भी असमंजस
इस सीट पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अच्छी पकड़ है। वर्तमान विधायक अशोक डोगरा भी ओम बिड़ला के करीबी हैं और दूसरी ओर, बिड़ला के ओएसडी राजीव दत्ता भी इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। अस सीट को लेकर इन दोनों नेताओं के बीच लड़ाई है। ऐसे में पिछले चुनाव में मिली जीत को देखते हुए बिड़ला भी असमंजस में हैं। पार्टी 'जीतना ही होगा' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है और यहां डोगरा और दत्ता के बीच खींचतान है। ऐसे में पार्टी यहां किसी और को मैदान में उतार सकती है, लेकिन अभी तस्वीर साफ नहीं है। यहां नोटा को जीत के वोटों के अंतर से 1692 वोट ज्यादा मिले थे।
भरत सिंह ने लगाए थे गंभीर आरोप
कोटा जिले के कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने पिछले साल राजीव दत्ता की शिकायत डीजीपी से की थी। इसके बाद माहौल गरमा गया। उन्होंने बाकायदा पत्र लिखकर शिकायत पत्र में लिखा था कि राजीव दत्ता राजस्थान पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं, जो वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें राजनीति का बहुत शौक है और वह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के लिए प्रचारक के रूप में काम करते हैं। भरत सिंह ने कहा कि इस शिकायत के बाद कुछ नहीं हुआ।
ये बड़े समीकरण हैं
बूंदी एक ऐसी विधानसभा सीट मानी जा रही है जहां पर अवैध खनन और अतिक्रमण एक तरह का कारोबार है। जिसमें बड़ी संख्या में सभी तरह के लोग शामिल हैं, लेकिन, देखा जाए तो बीजेपी के परंपरागत वोटर के तौर पर गुर्जर और भील सक्रिय हैं। अब जब राजीव दत्ता बूंदी में सीआई थे तो उनका सामना इन लोगों से होता रहा है। इसलिए सूत्रों की मानें तो बीजेपी इस मामले को लेकर काफी सतर्क है।
कहीं इसका असर चुनाव पर न पड़ जाए, क्योंकि पिछली जीत बेहद निराशाजनक रही है। इसलिए राजीव को आगे लाने पर खतरे की आशंका है। इसी के चलते पार्टी यहां साहसिक कदम उठा सकती है। क्योंकि, लोकसभा चुनाव को देखते हुए बिड़ला भी यहां कोई कमजोर दांव नहीं खेलना चाहते है क्योंकि, विधानसभा के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव पर भी देखने को पड़ेगा।