For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Success Story: नेत्रहीन देवश्री को मिली PHD की उपाधि, 10वीं पास पिता ने रातभर जागकर लिखे थीसिस

10:13 AM May 30, 2023 IST | Supriya Sarkaar
success story  नेत्रहीन देवश्री को मिली phd की उपाधि  10वीं पास पिता ने रातभर जागकर लिखे थीसिस
Blind Devashree got PHD degree, 10th pass father wrote thesis by staying awake all night

Success Story: हर व्यक्ति की सफलता की कहानी अलग होती है। वो कहते हैं ना जितने लोग उतनी कहानियां। लेकिन लोग उन्हीं लोगों की मिसाल देते हैं जिनकी सफलता में संघर्ष और परेशानियों का जिक्र किया गया हो। ऐसी ही संघर्ष से भरी कहानी है छत्तीसगढ़ की बेटी की, जिसका नाम देवश्री है। रायपुर के गुढ़ियारी में जनता कॉलोनी की रहने वाली देवश्री जन्म से ही नेत्रहीन है। बावजूद इसके उसने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

Advertisement

देवश्री ने समाज के हर उस व्यक्ति को गौरवान्वित महसूस करवाया है जो थोड़ी सी बाधा आने पर घबरा जाते हैं। लेकिन देवश्री का सफर उसके पिता के बिना अधूरा था। सफलता के लिए जितनी मेहनत उसने की, उससे कई अधिक योगदान देवश्री के पिता का भी रहा। बता दें कि देवश्री को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से पीचडी (PHd) की उपाधि मिली है। इस डिग्री को प्राप्त करने में उनके पिता ने दिन-रात मेहनत कर साथ दिया।

जन्म से नेत्रहीन है देवश्री

देवश्री जन्म से नेत्रहीन है। लेकिन उसने कभी इसे अपने जीवन की समस्या नहीं मानी। लगातार पढ़ाई करती रही और अब पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। अपने नाम के आगे डॉ. लगवाकर देवश्री ने साबित कर दिया है कि, कितनी ही समस्या क्यों न आए मेहनत और लगन से हर सपना पुरा किया जा सकता है। वह बाकि लोगों की तरह दुनिया तो नहीं देख सकतीं, लेकिन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर उसने समाज के हर व्यक्ति की आंख खोल दी है। उसके लगातार संघर्ष और दृढ़ संकल्प की बदौलत आज उसने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है। वह कहती है कि नेत्रहीन हूं तो क्या हुआ, रात दिन मेहनत करके मेरे माता-पिता ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है।

(Also Read- IPS की नौकरी छोड़ कृष्ण भक्ति में हुए लीन, वर्दी छोड़ पीतांबर किया धारण)

पिता ने रात-रात भर लिखे थीसिस 

इस सफलता का श्रेय जितना देवश्री को जाता है उतना ही उसके पिता गोपीचंद को मिलता है। दरअसल उसके लिए अकेले थीसिस लिखना मुश्किल था, इसलिए पीएचडी के थीसिस लिखने में देवश्री के पिता ने उसका पूरा सहयोग किया। वह बोलती जाती और उसके पिता लिखते जाते थे। उसके पिता महज 10वीं पास है, लेकिन उन्होंने पीएचडी के थीसिस लिखने में देवश्री की मदद की है। वे रात-रात भर जागकर अपनी बेटी के लिए थीसिस बनाया करते थे। वह सफलता का श्रेय अपने पिता को देती है। उसका कहना है कि 'माता-पिता ने हमारा हौसला बढ़ाया और हमको हिम्मत दी, उनकी वजह से ही हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं'।

समाज के लिए करना चाहती है काम

देवश्री के पिता छोटी सी दुकान चलाकर घर खर्च चलाते हैं। वह कहती है कि हम छोटे से मकान में रहते हैं। पापा दुकान भी चलाते हैं और समय निकालकर शुरू से हमें पढ़ाते आए हैं। उसने कहा कि “आज मुझे पीएचडी की डिग्री मिली तो मेरे पापा की मेहनत रंग लाई है।” देवश्री का कहना है कि वह समाज के लोगों के लिए सार्थक कार्य करना चाहती है। बता दें कि उसकी इस सफलता से देवश्री से अधिक उनका परिवार खुश है। उसने कहा कि 'आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने माता-पिता की बदौलत हूं, उन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया और मुझे हिम्मत दी।’

(Also Read- बकरियां चराने वाला महावीर बन गया 12वीं क्लास का टॉपर, कभी स्कूल जाने के लिए 40 रुपए भी नहीं थे पास)

.