लोकसभा चुनाव से पहले भजनलाल सरकार का बड़ा तोहफा, प्रदेश के किसानों की पूरी कर दी ये खास डिमांड
जयपुर। देश में लोकसभा चुनाव के पहले राजस्थान सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी सौगात दी है। दरअसल, भजनलाल सरकार ने प्रदेश में गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है। जो अब 2400 रुपए प्रति क्विंटल हो चुका है। इससे पहले यह 2275 रुपए प्रति क्विंटल थी। बढ़ोतरी होने के बाद प्रदेश के किसानों को हर क्विंटल पर 125 रुपए का फायदा होगा।
सरकार के फैसले पर लग रहे कई आरोप
सरकार के इस फैसले के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले किसान वर्ग को साधने के लिए यह किया गया हो। बता दे कि प्रदेश में भजनलाल सरकार करीब 17 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी कर चुकी है। हालांकि एमएसपी की राशि में बढ़ोतरी होने के बाद विपक्ष की ओर से सरकार पर आरोप लगाए गए कि आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए राशि में बढ़ोतरी करने का निर्णय किया गया है। लेकिन इस पर सरकार की ओर से जवाब दिया गया है कि यह योजना तो पहले से ही जारी थी। केवल इसके अमाउंट को बढ़ाया गया है।
वोट लेने के लिए सरकार ने किया फैसला…
आपको बता दे कि प्रदेश में होने वाले हर चुनाव से पहले किस वर्ग को साधने के लिए हर पार्टी नई-नई घोषणाएं करती हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में लगातार हो रहे किसानों के सुसाइड मामलों को मुद्दा बनाया और उनके हर नेता ने अपनी सभा में इसका जिक्र भी किया था। वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो अब तक नई सरकार सत्ता में आने के बाद किस वर्ग को साधने के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं कर पाई है।
क्या होता है MSP?
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी की तरह होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी। दरअसल, फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है। एमएसपी तय होने के बाद बाजार में फसलों की कीमत गिरने के बाद भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है। सरल शब्दों में कहें, तो एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है।
किन फसलों पर लगता है एमएसपी?
कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है। वर्तमान में देश के किसानों से खरीदी जाने वाली 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है। इन 23 फसलों में से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर होती है।
इसके अलावा, 7 तिलहन, सोयाबीन, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, तिल, सूरजमुखी, और नाइजर बीज होती है और 4 कमर्शियल फसलें, कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट होता है।
कौन तय करता है फसलों की MSP?
केंद्र सरकार फसलों पर एमएसपी दर लागू करती है और राज्य सरकारों के पास भी एमएसपी लागू करने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने किसानों की फसलों को उचित कीमत दिए जाने के उद्देश्य से साल 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी CACP का गठन किया था। यह हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए MSP तय करती है।
1966-67 में पहली बार लागू हुई थी एमएसपी
बता दें कि देश में पहली बार 1966-67 में एमएसपी दर लागू की गई थी। CACP के द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी का ऐलान करती है।
कैसे तय होता है MSP?
जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है। संस्था इन बिंदुओं पर ध्यान देती है कि फसल के लिए उत्पाद की लागत क्या है, इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है, बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है, मांग और आपूर्ति की स्थिति क्या है, अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थिति क्या है।