Rajasthan: 'भाया' का 100 करोड़ का चुनावी दांव! विरोधियों को जवाब या वोटबैंक टटोलने की कवायद
बारां: राजस्थान के बारां जिले में 26 मई को होने जा रहा सर्वधर्म निशुल्क सामूहिक विवाह समारोह अपनी भव्यता के चलते चर्चा में बना हुआ है जहां जिले में शुक्रवार को 2,222 जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया जा रहा है जिसमें एक अनोखा विश्व रिकॉर्ड भी बनाने का दावा किया गया है. राजस्थान सरकार में खान मंत्री प्रमोद जैन भाया की पहल पर यह आयोजन हो रहा है जहां 2222 इंटरकास्ट जोड़े एक दूसरे के हमसफर बनेंगे जिनमें 111 मुस्लिम समाज के वर-वधु भी बताए जा रहे हैं. दरअसल इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले माना जा रहा है कि भाया इस सामूहिक विवाह समारोह से जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ ही एक तरह से बड़ा शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
वहीं भाया ने इस कार्यक्रम में सीएम गहलोत, पीसीसी चीफ, कांग्रेस प्रभारी-सह प्रभारी, विधानसभा स्पीकर भी शामिल होंगे. समारोह के आयोजकों का दावा है कि सामूहिक विवाह के लिए बारां, कोटा, झालावाड़ समेत कई इलाकों से करीब 5 लाख लोग पहुंचेंगे. बता दें कि मंत्री भाया के सामाजिक ट्रस्ट श्री महावीर गोशाला कल्याण संस्थान की इस तरह का आयोजन पिछले 21 साल से करवाया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि भाया की संस्था की ओर से अब तक करीब 10 हजार से ज्यादा जोड़ों का ऐसे ही विवाह करवाया जा चुका है. वहीं पिछले साल करीब 1111 जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया गया था. मालूम हो कि भाया ने समारोह को सामाजिक होने के साथ ही सियासी रंग भी देने की पूरी कवायद की है जहां विपक्ष के किसी नेता को नहीं बुलाया गया है और कांग्रेस के पक्ष में चुनावी हवा का रुख भांपने की भी कोशिश की जाएगी.
भ्रष्टाचार को लेकर अपने रहे हैं हमलावर
मालूम हो कि भाया की अंता विधानसभा सीट से लेकर बारां जिले के लोगों के बीच काफी पैठ है हालांक पिछले काफी दिनों से वह अपने ही लोगों द्वारा करप्शन के आरोप झेल रहे हैं जहां कांग्रेस के ही विधायक भरत सिंह कुंदनपुर भाया पर लगातार हमलावर रहे हैं और बीते दिनों कुंदनपुर की ओर से 'खाया रे खाया, भाया ने खाया' के नारे और स्लोगन भी कई जगह लगाए गए थे.
माना जा रहा है कि चुनावों से पहले अपने विरोधियों को जवाब देने के साथ ही भाया अपनी सामाजिक छवि भी जनता के बीच फिर से चमकाना चाहते हैं. इसके अलावा चुनावों से ठीक 6 महीने पहले भाया अपने ही जिले में सीएम की मौजूदगी में लाखों की भीड़ जुटाकर सियासी संदेश देना चाहते हैं.
सियासी रंग लिए सामाजिक समारोह!
गौरतलब है कि राजस्थान में 15 साल पहले 2008 में परिसीमन के दौरान बारां जिले से हटाकर अंता को एक नई विधानसभा बनाया गया जिसके बाद से ही यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों से ही दिग्गज चेहरे ही निकले. 2008 में अस्तित्व में आने के बाद पहले विधानसभा चुनाव में अंता से कांग्रेस नेता प्रमोद जैन 'भाया' जीते और 2013 में बीजेपी के प्रभुलाल सैनी से 3,399 वोटों से हार गए. भाया बारां से कांग्रेस का बड़ा नाम है जिनकी तूती अंता और बारां के अलावा बाकी तीन विधानसभा क्षेत्रों में भी है.
सामान्य वर्ग की इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटर्स का वर्चस्व है जिनमें माली और धाकड़ समुदायों की अच्छी खासी आबादी रहती है. इसके अलावा अंता को आरएसएस का भी गढ़ माना जाता है. दरअसल अंता में माली समुदाय का प्रभुत्व मिटाने के लिए बीजेपी सैनी को चुनावी मैदान में उतारती आई है लेकिन भाया ने वैश्य समुदाय से आने के बावजूद मुसलमानों, धाकड़ों, दलितों और एसटी मतदाताओं को मिलकर साधा जिसके बाद सैनी को हार का सामना करना पड़ा.