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Right To Health Bill पर AAP ने साधा सरकार पर निशाना, कहा- हठधर्मिता छोड़कर डॉक्टर्स से बात करें गहलोत

05:13 PM Mar 29, 2023 IST | Jyoti sharma

जयपुर। प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) के विरोध में डॉक्टरों का धरना 12वें दिन भी जारी है। भाजपा के बाद अब आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरा है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि गहलोत सरकार अपनी जिद छोड़े और डॉक्टरों से बैठकर बातचीत कर उनकी समस्या का समाधान करें।

सीएम गहलोत सिर्फ राजनीति कर रहे हैं

आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में आप नेता देवेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर यह गतिरोध खत्म नहीं हुआ तो आम आदमी पार्टी राज्यपाल से मुलाकात करेगी और सरकार की कारगुजारियों को बेनकाब करेगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सीएम सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। क्या उन्हें आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है, लोग अस्पतालों में इलाज के लिए तड़प रहे हैं लेकिन यह सरकार अपने हठधर्मिता पर अड़ी हुई है।

SMS अस्पताल में एक मरीज का आधार कार्ड ना होने की वजह से 1 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया, वहीं दूसरी ओर इलाज ना मिलने से एक 3 साल की मासूम की मौत हो गई, आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन है? राजस्थान में जिस तरह की स्थिति पैदा हुई है वह बहुत ही चिंताजनक है। जनता का हक है कि उनको बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले, सरकार की यह जिम्मेदारी है कि जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं का हक दिलाएं।

डॉक्टर्स को समझाने मे नाकाम सरकार

देवेंद्र ने कहा कि हम राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ नहीं हैं लेकिन बिल में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर रहा होगा। जिसके निजी डॉक्टर्स खिलाफ हैं। इसलिए वे विरोध कर रहे हैं। भले ही सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं लेकिन इस प्रदर्शन से तो ऐसा ही लग रहा है कि वह डॉक्टरों को समझाने में नाकाम रही है। देवेंद्र ने कहा कि पिछले 12 दिनों से प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ा चुकी है। लाखों की संख्या में डॉक्टर सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इस सरकार से बात तक नहीं हो रही है।

बगैर सहमति के ही पारित करा दिया बिल

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से सीधा संवाद करना चाहिए। जब राइट टू हेल्थ बिल को बिना तैयारी के लाए तब उन्हें यह सोच लेना चाहिए था कि इसके आगे के अंजाम क्या होंगे। उन्होंने ना ही डॉक्टरों से ना ही आम जनता से इसके लिए सुझाव लिए। अशोक गहलोत डॉक्टरों से सहमति लेने की बात करते हैं लेकिन जब हमने जानकारी ली तो पता चला कि प्रवर समिति ने जिन्हें बातचीत के लिए बुलाया था, उन निजी अस्पतालों के 3 संस्थान के प्रतिनिधि गए थे। लेकिन उन्होंने बिल पर सहमति नहीं जताई थी उसके बावजूद अशोक गहलोत ने बिल को विधानसभा में पारित करवा दिया।

दिल्ली सरकार की ले सकते हैं मदद

आम आदमी पार्टी की मांग है की गहलोत सरकार डॉक्टर्स की मांग के मुताबिक राइट टू हेल्थ बिल में संशोधन करे और इसे फिर से विधानसभा में पेश कर पारित करवाए। अगर वे आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की कोई मदद चाहते हैं तो हम उसके लिए तैयार हैं।

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