होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

58 वर्षीय रेणु सिंघी की साइकिलिंग के आगे नतमस्तक हुई मियाओ-विजयनगर की दुर्गम राहें, 340 किमी का सफर किया तय

जयपुर की 58 वर्षीय साइक्लिस्ट रेणु सिंघी ने देश के सबसे दुर्गम रास्तों में से एक माने जाने वाले रास्ते मियाओ से विजयनगर (अरुणाचल प्रदेश) के करीब 125 किलोमीटर का चुनौतीपूर्ण साइकिलिंग का सफर पूरा किया है।
06:47 PM Apr 22, 2024 IST | BHUP SINGH

जयपुर। देश-विदेश की कई प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवा चुकी जयपुर की 58 वर्षीय साइक्लिस्ट रेणु सिंघी ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है। उन्होंने देश के सबसे दुर्गम रास्तों में से एक माने जाने वाले रास्ते मियाओ से विजयनगर (अरुणाचल प्रदेश) के करीब 125 किलोमीटर का चुनौतीपूर्ण साइकिलिंग का सफर पूरा किया है। ऐसा करने वाली वे संभवतया देश की पहली महिला हैं। जोधपुर के 61 वर्षीय होटल व्यवसायी प्रद्युम्न सिंह ने भी उनके साथ यह सेल्फ सपोर्ट टास्क पूर्ण की। दोनों ने पांच दिन में असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैंड में करीब 340 किलोमीटर की माउंटेन टेरेन बायसाइक्लिंग (एमटीबी) की।

उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण सफर के बारे में बताया कि असम के डिब्रूगढ़ से इसकी शुरुआत की। पहले दिन 126 किलोमीटर साइकिलिंग कर जयरामपुर रुके। दूसरे दिन वहां से म्यांमार बॉर्डर के करीब स्थित पंगसौ पास गए। घने जंगल और पहाड़ों की चढ़ाई होने से 12 किलोमीटर का सफर तय करने में ही चार घंटे लगे। फिर 45 किलोमीटर साइकिलिंग कर अरुणाचल प्रदेश के नामपोंग लौटे। अगले दिन मियाओ से बर्मा नाल तक का 35 किलोमीटर का सफर पांच घंटे में पूरा किया। रास्ते में फैले गोल पत्थरों और बारिश के कीचड़ ने इस उबड़-खाबड़ व कच्ची राह को और अधिक मुश्किल बना दिया, लेकिन हमने हार नहीं मानी। इस दौरान खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं थी।

प्रद्युम्न सिंह ने बताया कि अगली सुबह बर्मा नाल से विजयनगर के लिए रवाना हुए, जो हमारे जीवन में अभी तक की सबसे मुश्किल टास्क थी। यहां हमने कुछ स्थानीय लोगों से बात की तो सभी ने कहा कि इस दुर्गम राह पर साइकिलिंग करना असंभव है आप जा ही नहीं पाओगे, लेकिन हम आगे बढ़े। 80 किलोमीटर की इस एमटीबी में 50 किलोमीटर अत्यंत मुश्किल थे।

भारत के सबसे घने जंगल के बीच पगडंडी जितनी राह पर साइकिलिंग करना वाकई चुनौतीपूर्ण था। हमने झरने से पानी पिया और रास्ते में जंगली हिरण, बंदर, मुर्गे व गिलहरी देखीं, जो एक रोमांचकारी अनुभव रहा। इसके बाद अंतिम दिन हम गाड़ी से आसाम के सोनारी आए, जहां से साइकिल से नागालैंड बॉर्डर पर मोन (सोनारी) गए। खड़ी पहाड़ी चढ़ाई की वजह से 52 किलोमीटर पहुंचने में सात घंटे लगे।

इस एमटीबी के अनुभवों के बारे में रेणु सिंघी व प्रद्युम्न सिंह ने बताया कि यह एक एडवेंचरस जर्नी थी, जिसमें हमने उस क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज करीब से देखे, जयरामपुर में म्यांमार व भारत सरकार द्वारा लगाए जाने वाला मार्केट देखा। हमें असम राइफल्स व अरुणाचल प्रदेश के वन विभाग का काफी सपोर्ट मिला। विजयनगर के एंड पॉइंट से वापस लौटने पर स्थानीय लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि पैदल चलने के लिए भी अत्यधिक मुश्किल रास्तों पर हमने साइकिलिंग कैसे पूरी कर ली।

उल्लेखनीय है कि साइकिलिंग के प्रति इस खास जुनून की वजह से रेणु सिंघी लोगों के लिए आज एक मिसाल बन चुकी हैं और साइक्लिंग ग्रुप में उन्हें आयरन लेडी के रूप में जाना जाता है। 'लंदन-एडिनबर्ग-लंदन 2022' करने वाली वे एकमात्र भारतीय महिला हैं और लगातार 11 बार एसआर का स्टेटस हासिल कर चुकी हैं। रेणु सिंघी अगस्त-19 में फ्रांस में आयोजित 'पेरिस-बे-पेरिस' में 92 घंटे में 1220 किलोमीटर साइकिलिंग कर चुकी हैं। यही नहीं, उन्होंने अक्टूबर-21 में श्रीनगर से खारदुंग-ला होते हुए तुरतुक तक करीब 620 किलोमीटर की टास्क भी पूरी की है।

Next Article