चंद्रयान -3 मिशन : विक्रम-प्रज्ञान के जागने के अब भी 50-50% चांस
भरुच/ नई दिल्ली। चंद्रमा पर सूर्योदय हुए तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने फिर से काम करना नहीं शुरू किया है। दोनों मॉड्यूल्स को इस महीने की शुरुआत में चांद पर रात होने के चलते स्लीप मोड में डाल दिया गया था और उम्मीद की जा रही थी कि जब चांद पर फिर से उजाला होगा तो दोनों सूर्य की रोशनी से चार्ज होकर फिर से सिग्नल भेजने लगेंगे।
हालांकि, शनिवार रात तक ऐसा नहीं हो सका है। स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई ने कहा है कि चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ऑटोमैटिकली जागेंगे। लैंडर और रोवर के जागने की संभावना 50-50 प्रतिशत है। देसाई ने ये भी कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से फिलहाल कोई सिग्नल नहीं आ रहे हैं। इसके लिए हमारी तरफ से कोशिशें जारी हैं।
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लैंडररोवर सूर्य की रोशनी में अपने आप ही जागेंगे, ये तय है। 22 सितंबर से चांद के साउथ पोल पर सूर्य की रोशनी आने लगी है। देसाई के मुताबिक, अगर चांद पर होने वाले बेहद ठंडेतापमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बचे रह गए तो हमें सिग्नल जरूर मिलेंगे। नहीं तो यही मानिए कि चंद्रयान-3 मिशन अपना काम कर चुका। वहीं, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक माइलस्वामी अन्नादुरई ने कहा कि मुझे प्रज्ञान के जागने की उम्मीद है, क्योंकि हमने उसका परीक्षण किया है। लेकिन लैंडर विक्रम के जागने को लेकर हमें इंतजार करना पड़ेगा।
पूरे 14 दिन करेंगे इंतजार
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि अब तक कोई भी सिग्नल नहीं मिला है, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि यह नहीं आएंगे। पूरे लूनर डे (पृथ्वी के दिन के हिसाब से 14 दिन) तक इंतजार करेंगे, क्योंकि तब तक सूर्य की रोशनी लगातार पड़ती रहेगी, जिसका मतलब है कि तापमान में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि जब तक तापमान बढ़ रहा है तब तक अंदर सिस्टम के गर्म होने की संभावना है। इसलिए सिस्टम 14वें दिन भी जाग सकता है, यह कब हो सकता है, इसकी भविष्यवाणी करने का कोई तरीका नहीं है। इसरो प्रमुख ने आगे कहा कि हमारे द्वारा किए गए कई प्रयोगों ने हमें डेटा दिया है।
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रोवर ऐसी दिशा में कि सूर्य का प्रकाश सौर पैनल पर पड़े
इसरो ने लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डालने से पहले बैटरी को फु ल चार्ज रखा था। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य का प्रकाश सीधे सौर पैनलों पर पड़े। उम्मीद की जा रही है कि ये फिर से काम करना शुरू करेगा।