For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Right To Health बिल के विरोध में संवेदनाएं भी मरीं, 3 साल के बच्चे ने तोड़ा दम, अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा पिता, किसी ने नहीं किया एडमिट

03:27 PM Mar 29, 2023 IST | Jyoti sharma
right to health बिल के विरोध में संवेदनाएं भी मरीं  3 साल के बच्चे ने तोड़ा दम  अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा पिता  किसी ने नहीं किया एडमिट

जालोर। प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) के विरोध में निजी डॉक्टर्स का आंदोलन चरम पर है। लेकिन अब हालात और भी खराब हो गए हैं क्योंकि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स भी कार्य बहिष्कार कर इन चिकित्सकों को अपना समर्थन दे रहे हैं। जिसके चलते प्रदेशभर के अस्पताल डॉक्टरों से खाली और मरीजों से अटे पड़े हैं। दशा यह है कि इमरजेंसी में आए मरीजों की हालत बद से बदतर हो जा रही है। इस बीच जालोर में इलाज ना मिल पाने के चलते एक 3 साल के बच्चे की मौत हो गई।

Advertisement

सर्दी-जुकाम से पीड़ित था बच्चा

मामला जालोर के कांबा गांव का है यहां विक्रम सिंह का 3 साल का बेटा धनपत दो-तीन दिनों से सर्दी जुकाम से पीड़ित था। जिसके बाद परिजन बच्चे को लेकर कई प्राइवेट अस्पतालों में गए लेकिन वहां पर चिकित्सकों के अभाव में इलाज नहीं मिल सका। मृतक बच्चे के पिता का कहना है कि वह अपने बेटे को लेकर कई अस्पतालों के चक्कर काटते रहे लेकिन किसी भी अस्पताल का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने बच्चे को भर्ती करने से साफ मना कर दिया।

सरकारी में भी इलाज ना मिलने का आरोप

बच्चे के पिता ने कहा कि इसके बाद वे जिले के सरकारी अस्पताल मातृ और शिशु चिकित्सालय यानी एमसीएच लेकर गए। जहां उन्होंने बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती तो कर लिया लेकिन इमरजेंसी का कार्य बहिष्कार कर डॉक्टर हड़ताल करने चले गए। कुछ समय बाद डॉ मुकेश चौधरी आए कुछद देर बाद बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के पिता ने कहा कि समय पर इलाज ना मिलने के चलते बच्चे की सांसे थम गईं। उन्होंने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

बच्चे की हालत थी गंभीर

इधर इस पूरे मामले में डॉ मुकेश चौधरी का कहना है कि बच्चे की तबीयत बेहद खराब थी। ऐसी कंडीशन में बच्चे के परिजन उसे लेकर अस्पताल आए। उस दौरान मैं अस्पताल में नहीं था लेकिन ड्यूटी पर दूसरे डॉक्टर थे, जिन्होंने बच्चे को एडमिट कर लिया था। जब मैं अस्पताल गया तो बच्चे का इलाज चल रहा था। उनका कहना है कि जो डॉक्टर बच्चे का इलाज कर रहे थे, उन्होंने पहले ही बच्चे को दूसरे अस्पताल रेफर करने के लिए कह दिया था। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो मैंने बच्चे को रेफर कर दिया लेकिन रास्ते में बच्चे ने दम तोड़ दिया।

हड़ताल ने लील ली मासूम जिंदगी

इस पूरे मामले में पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस विरोध के चलते पिछले दिनों जयपुर में भी एक बच्चे की मौत हो गई थी लेकिन निजी डॉक्टर्स का विरोध अभी भी जारी है। सरकारी अस्पताल भी कार्य बहिष्कार कर उनका साथ दे रहे हैं। जिससे प्रदेश के स्वास्थ्य इंतजाम लड़खड़ा कर बिखर गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से कार्य बहिष्कार को खत्म करने की लगातार अपील कर रहे हैं लेकिन डॉकटर्स अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।

कितना बोझ सहेगा SMS अस्पताल

खुद राजधानी के हालात स्वास्थ्य व्यवस्था से लड़खड़ा गए हैं। प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल पर मरीजों का बेतहाशा बोझ आ गया है। यहां पर मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। उन्हें समय पर ना ही इलाज मिल रहा है ना ही दवाइयां मिल रही है। वह जांच तक नहीं करा पा रहे हैं। सबसे ज्यादा हालत बुजुर्ग और बच्चों की खराब है, तो वहीं इमरजेंसी कंडीशन में आए लोगों की तो हालत बद से बदतर हो रही है।

.