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World Radio Day: जानिए किसने किया रेडियो का आविष्कार, देश को आजादी दिलाने में रेडियों ने निभाई अहम भूमिका

09:55 AM Feb 13, 2023 IST | Supriya Sarkaar

एक दौर था जब लोग रेडियो के माध्यम से समाचार सुनते थे, संगीत सुनते थे और क्रिकेट की लाइव कमेंट्री सुनकर ऐसा महसुस करते थे मानों मैच उन्हीं के सामने चल रहा हो। रेडियो एक प्रकार का श्रव्य साधन है जिससे सभी प्रकार के समाचार सुने जा सकते है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसे हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं। हालांकि अब भी रेडियों ने अपने श्रोताओं के बीच ऐसी छाप छोड़ी हुई है जिससे श्रोता जुड़े रहना चाहते हैं। इसी के महत्व को बताने के लिए पूरे विश्व में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जा सकता है।   

रेडियो का इतिहास 

रेडियो का आविष्कार 1890 में गुल्येल्मो मारकोनी ने वैज्ञानिक रेगीनाल्ड फेस्सेन्डेन और विलियम दुबिलिएर वैज्ञानिक के सहयोग से किया था। इसके बाद उन्होंने पहली बार वर्ष 1895 में इटली में रेडियो सिग्नल भेजा। मार्कोनी को रेडियो का जनक माना जाता है। 24 दिसम्बर 1906 को कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया था। इसे अटलांटिक महासागर के जहाजों में लगे रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना था। तभी से दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मानी जाती है। शुरूआत में रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 

भारत में कब हुई रेडियो की शुरुआत 

भारत में रेडियों की शुरूआत वर्ष 1924 से मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब द्वारा की गई थी। इस क्लब ने वर्ष 1927 तक रेडियो ब्रॉडकास्टिंग पर प्रसारण का काम किया। जिसके बाद रेडियो का पहली बार प्रसारण 23 जुलाई 1927 को किया गया। लेकिन आर्थिक परेशानियों के चलते मद्रास क्लब ने इसे बंद कर दिया था। इसके बाद इसी वर्ष बॉम्बे और कलकत्ता में भारतीय प्रसारण कंपनी को शुरु किया गया। वर्ष 1932 में भारत सरकार ने इस विभाग का नाम ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस’ रख दिया। बाद में इसे भी वर्ष 1936 में बदलकर ‘ऑल इंडिया रेडियो’ कर दिया गया। वर्ष 1957 के बाद से इसे आकाशवाणी के नाम से जाना जाता है।

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भारत की आजादी में रेडियों की अहम भूमिका

भारत सरकार द्धारा बनाई गई रेडियो प्रसारण एक राष्ट्रीय सेवा थी। आजादी से पहले बनाए गए रेडियों के प्रसारण के लिए धीरे-धीरे पूरे देश में स्टेशन बनाए गए। उस समय रेडियो ने भारत की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। 1942 में नेशनल कांग्रेस रेडियो का प्रसारण शुरु किया गया। उस समय महात्मा गांधी जी ने इसी रेडियो स्टेशन से ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ नारे का प्रसारण किया था। इसके अलावा वर्ष 1944 में नेता सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ‘तुम मुझे खून दो, मै तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा भी रेडियो द्धारा प्रसारित किया था।

रेडियों का सफर 

– 1918 में ली द फोरेस्ट ने न्यूयॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरु किया।

– नवंबर 1920 में फ्रैंक कॉनार्ड को दुनिया में पहली बार क़ानूनी तौर पर रेडियो स्टेशन शुरु करने की अनुमति मिली।

– वर्ष 1923 में रेडियो में विज्ञापन की शुरुआत हुई।

– रेडियों के लिए लगाया गया पहला ट्रांसमीटर 10 किलोवाट का था। 

– वर्ष 1942 में आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना हुई।

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