‘सोर्स सस्नेटेबिलिटी इन राजस्थान’ पर हुई कार्यशाला, जल संरक्षण का चैप्टर पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए भेजेंगे प्रस्ताव
जयपुर ‘कन्वर्जेंट प्लानिंग एंड इम्प्लीमेंटेशन फॉर सोर्स सस्टेनिबिलिटी इन राजस्थान’ विषय पर बुधवार को होटल मेरियट में स्टेट कंसल्टेशन कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि जलदाय मंत्री महेश जोशी रहे। मंत्री जोशी ने कहा कि जल संरक्षण के प्रति कम उम्र से ही बच्चों में जागरूकता लाने के लिए जल संरक्षण का चैप्टर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पीएचईडी एवं भूजल विभाग द्वारा जल संरक्षण एवं जल के बेहतर प्रबंधन से संबंधित पाठ्य सामग्री तैयार कर स्कूल शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि जल की बचत ही जल का उत्पादन है, जल है तो कल है, जल ही जीवन है, यह साधारण स्लोगन नहीं बल्कि सारगर्भित कथन है। इन्हें आमजन तक पहुंचाकर उन्हें भविष्य के लिए पानी बचाने की मुहिम में उनकी भागीदारी बढ़ानी होगी।
रश्मि गुप्ता ने कहा, रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाने की जरूरत
कार्यक्रम में निदेशक, वाटरशेड रश्मि गुप्ता ने कहा कि पेयजल योजनाओं की निरंतरता भूजल पुनर्भरण पर निर्भर है। विभाग द्वारा पिछले सात साल में 15 हजार गांवों में 3 लाख जल संग्रहण से संबंधित कार्य किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुओं, हैंडपंप, ट्यूबवैल आदि की लोकेशन देखकर उनके आसपास रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाए जाएं ताकि सोर्स सस्नेटेबिलिटी हो सके।
वहीं यूनिसेफ की स्टेट हेड इजाबेल बार्डेल ने कहा कि राज्य में 60 प्रतिशत पेयजल जरूरतें भूजल से पूरी होती हैं, लेकिन यहां भूजल की स्थिति चिंताजनक है। भूजल पुनर्भरण के मुकाबले दोहन 151 प्रतिशत है। उन्होंने बाड़मेर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां बनाए गए पानी की कम खपत वाले टॉयलेट्स से सालाना 80 हजार लीटर पानी की बचत हो रही है।
जेजेएम में हुए 40 लाख से अधिक कनेक्शन
जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में अभी तक 40 लाख 68 हजार कनेक्शन हुए। मार्च 2023 में कुल एफएचटीसी करने में राजस्थान पूरे देश में दूसरे स्थान पर रहा है। मंत्री जोशी ने कहा कि प्रदेश की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बाद भी जेजेएम में बहुत सराहनीय कार्य किया है। छितराई बसावट, रेगिस्तान व पहाड़ी इलाका होने के कारण राजस्थान में प्रति जल कनेक्शन लागत 70 हजार रुपए आ रही है, जबकि देश के किसी राज्य में जल कनेक्शन पर इतना व्यय नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान ने 40 लाख 68 हजार कनेक्शन कर लिए हैं।
रेगिस्तान के लोग जानते हैं पानी की कीमत
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि पानी की कीमत और उसका बेहतर प्रबंधन जैसलमेर और बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके की ढाणियों में रहने वाले ग्रामीणों से अधिक कोई नहीं जान सकता। वहां पर बूंद-बूंद पानी को सहेजकर कम से कम पानी में गुजारा किया जाता है, जबकि शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोग पानी का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाते हैं। जितना बड़ा शहर होता है, पानी की उतनी ही अधिक खपत होती है। पानी का महत्व शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समझना होगा।