अंगदान में आगे आकर अपनों को जीवनदान दे रही नारी शक्ति
जयपुर। किडनी ट्रांसप्लांट में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या 84.4 फीसदी अधिक है। महात्मा गांधी अस्पताल की किडनी ट्रांसप्लांट टीम द्वारा 1500 किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर किए गए रिसर्च में यह सामनेआया है कि 1500 किडनी ट्रांसप्लांट में 1266 यानी 84.4% पुरुषों ने किडनी प्रत्यारोपण कराए। वहीं, केवल एक चौथाई से भी कम 234 महिलाओं ने किडनी प्रत्यारोपण कराया। इसके विपरीत अंगदान की बात की जाए तो अपनों को बचाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे आकर अंगदान कर रही हैं।
सर्वे में देखा गया है कि 1018 लोगों को किडनी नारी शक्ति द्वारा दी गई। 512 लोगों को उनकी माताओं के अंगदान से प्रत्यारोपण कराया गया। इसी तरह 413 लोगों को उनकी पत्नियों ने किडनी दान की। 153 रोगियों को उनके पिता द्वारा दी गई किडनी लगाई गई। 6 मामलों में पुत्र तथा 2 मामलों में पुत्री, 91 मामलों में बहन तथा 54 मामलों में भाइयों द्वारा दान की गई किडनी लगाई गई।
चार तरह से होती है किडनी ट्रांसप्लांट
अस्पताल के डायरेक्टर किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट प्रो. डॉ टी सी सदासुखी तथा गुर्दा रोग विभाग प्रमुख प्रो. डॉ सूरज गोदारा ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण चार विधियों से किया जाता है। इनमें पहला लिविंग डोनर यानी पारिवारिक सदस्य के किडनी दान से मिली किडनी रोगी को लगाई जाती है। दसू री विधि कै डेवर यानी ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों की सहमति से किए गए अंगदान से प्राप्त किडनी को जरूरतमंद रोगी में एक समय सीमा में प्रत्यारोपित किया जाता है। तीसरी विधि एबीओ इनकं पिटीबल में रोगी के ब्लड ग्रुप से भिन्न ब्लड ग्रुप वाले पारिवारिक सदस्य की दानित किडनी को रोगी को लगाया जाता है।
इसमें रोगी के ब्लड ग्रुप को प्लाज्मा फे रेसिस के द्वारा उपलब्ध डोनर से मैच करा लिया जाता है। इसी प्रकार चौथी स्वैप विधि से भी मैचिंग डोनर के नहीं होने पर डोनर्स के एक पुल से मैचिंग डोनर की किडनी लेकर प्रत्यारोपित की जाती है। उन्होंने बताया कि 1500 किडनी प्रत्यारोपण राज्य में सर्वाधिक आंकड़ा है। इस संख्या के हिसाब से महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर की गिनती देश के पांच प्रमुख ट्रांसप्लांट केंद्रों में की जा रही है।
किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले ज्यादा 25 से 35 की उम्र के
स्टडी में देखा गया कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 31 प्रतिशत यानी 473 रोगी 25 से 35 वर्ष आयु वर्ग के रहे। इसके बाद 364 व्यक्ति 36 से 45 उम्र के थे। 15 से 25 वर्ष आयु वर्ग के 305 रोगियों ने किडनी प्रत्यारोपण कराया। 259 लोगों ने 46 से 55 वर्ष की आयु में किडनी प्रत्यारोपण कराया। 56 से 70 वर्ष आयु के 99 रोगियों ने किडनी प्रत्यारोपण कराया। स्टडी में तथ्य ये भी सामने आए कि महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर में सर्वाधिक 1263 किडनी प्रत्यारोपण पारिवारिक सदस्य द्वारा दान की गई किडनी के जरिए किए गए। जबकि एबीओ इनकं पिटिबल विधि से 115 रोगियों को नई किडनी लगाई गई। यह संख्या राज्य में सर्वाधिक है। स्वैप विधि से 103 रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण के जरिए नई जिंदगी मिली।
ट्रांसप्लांट करने वाली टीम
किडनी ट्रांसप्लांट तथा स्टडी करने वालों में निदेशक रीनल साइंस डॉ टीसी सदासुखी, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ सूरज गोदारा, डॉ एचएल गुप्ता, प्रो डॉ मनीष गुप्ता, डॉ नृपेश सदासुखी, डॉ आशीष शर्मा, एनेस्थीसिया के डॉ विपिन गोयल, डॉ बी बी बज, डॉ प्रवीण प्रमुख रहे। ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर किशोर शर्मा ने भी अहम भूमिका निभाई।