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गहलोत के जन घोषणापत्र के पूरे होते वादे क्या बदलेंगे राजस्थान का 'रिवाज'?

04:41 PM Feb 28, 2023 IST | Jyoti sharma
गहलोत के जन घोषणापत्र के पूरे होते वादे क्या बदलेंगे राजस्थान का  रिवाज

रायपुर में हुए कांग्रेस के 85 वें अधिवेशन में बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा लगा। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे के साथ राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इस अधिवेशन का मुख्य हिस्सा रहे। कांग्रेस की मौजूदा सियासत में राजस्थान के हाथ को दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस समय कांग्रेस के जिन राज्यों में सरकार है उसमें सबसे मजबूत स्थिति में राजस्थान है। यहां पर इसी साल नवंबर – दिसंबर के महीने में विधानसभा चुनाव होने को है। इसके लिए राजनीतिक विश्लेषकों की ओर से यह बात कही जा रही है कि इस बार राजस्थान का रिवाज बदल सकता है। यानी इस बार कांग्रेस सरकार राजस्थान में रिपीट हो सकती है क्योंकि ना तो कांग्रेस के सबसे मजबूत चेहरे अशोक गहलोत को टक्कर देने के हालात में कोई दिख रहा है, ना ही प्रदेश में एंटी इनकंबेंसी जैसा कुछ नजर आ रहा है।

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10 साल के कार्यकाल में हर वादा किया पूरा

अधिवेशन में अशोक गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो अपने घोषणापत्र में जनता से वादे करती है, उसे पूरा भी करने का माद्दा रखती है। इन्हीं के बलबूते तीन राज्यों में उनकी सरकार है। राजस्थान में अपने 10 साल के कार्यकाल में कांग्रेस ने हर वह वादा पूरा किया है, जो उन्होंने जनता से चुनावों के दौरान किया था, चाहे वह फ्री स्वास्थ्य सेवा का हो, बिजली का हो या पानी का हो।

अगर हम गहलोत सरकार के 5 सालों को देखते हैं, तो पाएंगे कि अशोक गहलोत ने अपनी जो छवि जनता के सामने जनता के बीच में बनाई है उसे टक्कर देना भाजपा के लिए बेहद मुश्किल होने वाला है। राजस्थान में अशोक गहलोत और उनकी सरकार की छवि को उनकी योजनाओं ने जबरदस्त तरीके से मजबूती प्रदान की है। मौजूदा बजट में भी उन्होंने कई ऐसी घोषणा की है जो आमजन के साथ ही हर वर्ग को लाभ पहुंचाने वाली हैं।

गहलोत को जीत दिलाएंगी ये मुख्य पांच योजनाएं

इससे पहले भी अगर बात करें तो अशोक गहलोत के मुख्य पांच योजनाएं इस चुनाव में उन्हें जीत दिलाने के लिए काफी नजर आ रही हैं क्योंकि उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ चुकी है कि अब किसी पार्टी को उन्हें टक्कर देने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। इनमें चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना, ओल्ड पेंशन योजना, इंदिरा रसोई और पालनहार योजना शामिल है। यही नहीं अशोक गहलोत अपनी योजनाओं को सीधे तौर पर कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की बात तक कह चुके हैं। साथ ही पत्र लिखकर मांग भी कर चुके हैं।

चिरंजीवी ने जीते लोगों के दिल

बात अगर हम चिरंजीवी योजना की करें तो गहलोत सरकार के इन 5 सालों में चिरंजीवी से लगभग राजस्थान के हर जरूरतमंद को कवर किया गया है। 10 लाख तक के फ्री इलाज में उन्होंने उन सभी बीमारियों को शामिल किया जिन का इलाज आम आदमी सपने में भी नहीं देख सकता था, इलाज के लिए या तो उसे अपने घर बार तक बेचने पड़ जाते थे या फिर जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ जाता था लेकिन अशोक गहलोत के इस कदम से उन्होंने जनता को राहत तो दी ही है, साथ ही उनके दिल में खास जगह भी बनाई है।

अब तो इस बजट में उन्होंने इस 10 लाख की राशि को बढ़ाकर 25 लाख तक कर दिया है जिसकी चारों तरफ प्रशंसा हो रही है।

हर गरीब की थाली को भर रही है इंद्रा रसोई

गहलोत सरकार की एक और लोकप्रिय योजना इंदिरा रसोई है जो आज एक गरीब का पेट भर रही है वह भी मात्र 8 रुपए में। हालांकि वो अलग बात है कि विपक्षी कभी कुछ फोटो या खबरें लाकर इस योजना को धता बताने का काम करते हैं लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आम लोग ही नहीं खास लोग यहां तक कि विदेशी लोग तक भी इंद्रा रसोई के भोजन की भर भर कर तारीफ कर चुके हैं और इसे बेहद अच्छी योजना करार चुके हैं। मौजूदा समय में पूरे राजस्थान में लगभग 800 रसोई हैं जिन्हें और आगे बढ़ाया जा रहा है।

अकेले OPS ने ही तैयार कर दी चुनावी जमीन

अशोक गहलोत के घोषणा पत्र में किए गए वादे जैसे OPS लागू करना, लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, हर बच्चे तक शिक्षा का अधिकार पहुंचाना जैसे घोषणाओं को पूरा करने का भी काम किया है।अशोक गहलोत ने घोषणा पत्र में OPS को लागू करने का वादा किया था, जिसे उन्होंने पूरा भी किया और अब तो ओपीएस पर एक बड़ी राजनीति पूरे देश में देखी जा रही है।

पूरे देश में उभर रहा राजस्थान मॉडल

हाल ही में हुए हिमाचल और गुजरात के चुनाव में ओपीएस का बड़ा रोल रहा। उसने तो हिमाचल में कांग्रेस को जीत तक दिला दी। इसके बाद से ही कई भाजपा शासित राज्य भी अब ops को लागू करने पर विचार कर रहे हैं यहां तक की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं जिससे साफ है कि अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के बलबूते जिस मॉडल राजस्थान को पूरे देश के सामने रख रहे हैं वह मॉडल उन्हें सरकार को 2023 के चुनाव में रिपीट करवाने में काफी हद तक मदद करेगा।

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