क्या हवामहल में सड़क किनारे नहीं दिखेंगे नॉन वेज के ठेले? MLA बनते ही एक्शन में बालमुकुंद आचार्य
Balmukund Acharya : जयपुर। हाथोज धाम के महंत स्वामी बालमुकुंद आचार्य हवामहल से विधायक बनते ही पूरी तरह एक्शन में दिख रहे है। राजधानी जयपुर की हॉट सीट हवामहल से चुनाव जीतने के दूसरे दिन ही नवनिर्वाचित विधायक बालमुकुंद आचार्य ने क्षेत्र में सड़क किनारे लगने वाले नॉन वेज के ठेलों को हटाने के आदेश दिए है। उनके इस आदेश से नॉन वेज के ठेले लगाने वालों में खलबली मच गई है। ऐसे में लोगों के मन में अब ये सवाल है कि क्या हवामहल क्षेत्र में सड़क किनारे नॉन वेज के ठेले नहीं दिखेंगे?
हवामहल से विधानसभा जीतने के बाद सोमवार को नवनिर्वाचित विधायक बालमुकुंद आचार्य क्षेत्र के दौरे पर निकले। इस दौरान समर्थकों द्वारा जगह-जगह उनका माला पहनाकर स्वागत किया है। जब बालमुकुंद आचार्य चांदी की टकसाल पहुंचे तो कुछ लोगों ने नॉनवेज के ठेलों को लेकर शिकायत की। इस पर विधायक ने तुरंत प्रशासनिक अधिकारियों को फोन किया और सड़क किनारे लगने वाले नॉनवेज के ठेलों को शाम तक हटाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि मैं जब शाम को आऊं तो एक भी नॉनवेज का ठेला नहीं दिखना चाहिए। साथ ही इस पूरे मामले में रिपोर्ट भी मांगी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडिया वायरल हो रहा है। जिसमें हवामहल से नवनिर्वाचित विधायक बालमुकुंद आचार्य मोबाइल बात करते दिख रहे है। वो प्रशासनिक अधिकारियों से कह रहे है कि क्या रोड पर खुले में नॉनवेज बेच सकते है? साथ उन्होंने सड़क पर लगे नॉनवेज के ठेलों को हटाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि शाम तक रोड पर नॉनवेज के ठेले नहीं दिखने चाहिए। इसके बारे में शाम को रिपोर्ट लूंगा। अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि ये सब कैसे होगा और ना ही मुझे इस बात से मतलब है कि कौन अधिकारी है।
अंतिम राउंड में जीते थे मुकुंदाचार्य
बता दें कि बता दें कि हाथोज धाम के बाल मुकुन्दाचार्य को बीजेपी ने इस बार हवामहल से मैदान में उतार कर हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया। लेकिन, बाल मुकुन्दाचार्य ने जीत के साथ ही सभी को चौंका दिया था। क्योंकि मतगणना के दौरान 14 वें राउंड तक 10 हजार से अधिक की लीड लेने वाले जयपुर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और कांग्रेस प्रत्याशी आर आर तिवाड़ी अंतिम गणना के दौरान हार गए थे। अंतिम राउंड में बाल मुकु न्दाचार्य ने 974 वोटों से जीत दर्ज की थी। बालमुकन्दाचार्य का जीतना भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीती की और इशारा कर रहा है। क्योंकि वो पिछले कुछ दिनों में मंदिरों को बचाने के अभियान से चर्चा में आए थे।
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