क्या हाथ से हाथ जोड़ो अभियान से लगेगी गुटबाजी पर लगाम?
जयपुर। प्रदेश में इसी वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान प्रदेश कांग्रेस के सत्ता वापसी के लिए बड़ा महत्व रखेगा। लेकिन कांग्रेस के सियासी हलकों में इस अभियान को प्रदेश कांग्रेस में पुनः शुरू हुई गुटबाजी पर लगाम लगाने के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं जिस तरह अभियान से पहले सचिन पायलट समर्थक गुट के विधायक और नेता पार्टी गतिविधियों से बाहर निकलकर राजनीतिक सभाएं शुरू करने जा रहे हैं। ऐसे में इसका असर अभियान पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
आमजन को जोड़ने और पार्टी को मजबूत करने के लिए 26 जनवरी से आगामी दो माह तक प्रदेश में चलने वाला यह अभियान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के लिए भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। अभियान को मजबूती देने के लिए डोटासरा के दिए गए निर्देशों पर कई जिला समन्वयकों ने अभी तक क्षेत्र में जाकर एक भी बैठक नहीं ली, ना ही डोटासरा द्वारा कोई फीडबैक जिला समन्वयकों द्वारा लिया गया। ऐसे में डोटासरा द्वारा जिला समन्वयकों और पदाधिकारियों दिए गए निर्देश हवा हो रहे हैं।
बीते दिनों 188 ब्लॉकों में अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कई जिलों में नियुक्ति अटकने और शेष जिलों में बगैर ब्लॉक अध्यक्ष के अभियान के समन्वयक नियुक्त करने को भी कांग्रेस की गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में कांग्रेस द्वारा चार वर्ष में जो नहीं हो सका वो इन दो माह में हो पाएगा।
विकास कार्यों का रिकॉर्ड होगा तैयार
प्रदेश में चुनावों से पहले कांग्रेस के सभी छोटे बड़े नेता आमजन के बीच जाकर नब्ज टटोलने का काम करेंगे। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और अभियान के प्रदेश प्रभारी आरसी खुंटिया नेताओं की रिपोर्ट तैयार कर आलाकमान को देंगे। इसमें मुख्य फोकस पार्टी के निर्देश नहीं मानने, पार्टी से अलग होकर कार्य करने, मंत्रियों के कार्यों का ब्यौरा और विधायकों और विधायक प्रतियाशियों द्वारा क्षेत्र में किए गए कार्यों का रिकॉर्ड तैयार करेंगे। ऐसे में प्रभारी ने सभी नेताओं को 60 दिन लगातार फील्ड में रहने के निर्देश दिए हैं।
भारत जोड़ो यात्रा में दिखी एकजुटता
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले भी प्रदेश कांग्रेस में इसी तरह की गुटबाजी और विरोधी बयानबाजी देखने को मिली थी। लेकिन प्रदेश में यात्रा के प्रवेश से पहले आलाकमान ने बैठक कर सुलह का रास्ता निकालकर एकजुट करने का प्रयास किया। जिसके बाद प्रदेश में 17 दिन चली राहुल की यात्रा के दौरान कांग्रेस में एकजुटता नजर आई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट कई बार एक साथ चलते नजर आए, लेकिन बीते दिनों मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बाद एक बार फिर गुटबाजी सामने आ रही है।