भारत-कनाडा के बीच तकरार…कैसे रहेंगे सैन्य संबंध, क्या दिल्ली आंएगे कनाडा के डिप्टी आर्मी चीफ?
India-Canada Dispute : नई दिल्ली। भारतीय सेना अगले सप्ताह राजधानी दिल्ली में हिंद-प्रशांत देशों के सेना प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन इंडो-पैसिफिक आर्मीज चीफ्स कॉन्क्लेव (आईपीएसीसी) की मेजबानी करेगी। इसमें 22 देशों के सेना प्रमुख-प्रतिनिधि शामिल होंगे। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि क्या कनाडा के डिप्टी आर्मी चीफ इस सम्मेलन में शामिल होंगे या फिर उनका अगले हफ्ते होने वाला भारत दौरा टल जाएगा।
दरअसल, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद से भारत-कनाडा के बीच हालात तनावपूर्ण बने हुए है। ट्रूडो के आरोपों की जांच के बीच वहां की सरकार ने शीर्ष भारतीय राजनयिक को देश ने निष्कासित कर दिया है।
वहीं, भारत ने भी ‘जैसे को तैसा’ की कार्रवाई करते हुए कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैके को तलब किया और वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया। ऐसे में दोनों देशों के बढ़ते तनाव के बीच कनाडाई डिप्टी आर्मी चीफ के दिल्ली दौरे को लेकर भारत-कनाडा सेनाओं के अधिकारियों की प्रतिक्रिया सामने आई है।
इस विवाद का सैन्य संबंधों पर कोई असर नहीं
भारत और कनाडा की सेनाओं के अधिकारियों का कहना है कि हालिया राजनयिक विवाद का असर दोनों सेना के संबंधों पर नहीं पड़ेगा और कनाडाई सैन्य अधिकारी अगले हफ्ते दिल्ली में होने वाली डिफेंस कॉन्क्लेव में हिस्सा लेंगे। आर्मी हेडक्वार्टर में रणनीतिक योजना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल अभिन्य राय ने कहा कि हिंद-प्रशांत आर्मी चीफ कॉन्क्लेव में कनाडा के डिप्टी आर्मी चीफ मेजर जनरल पीटर स्कॉट शामिल होंगे। दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद का इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
राजनयिक पहल के साथ-साथ सैन्य पहल भी रहेगी जारी
उन्होंने कहा कि जब हम अपने कुछ पड़ोसी देशों के साथ ऐसे संबंधों को देखते हैं। जहां पर गतिरोध की आशंका होती है, वहां हर स्तर पर संपर्क बना रहता है, फिर चाहे सैन्य स्तर पर हो या राजनयिक स्तर। हमारी कनाडा के साथ राजनयिक पहल के साथ-साथ सैन्य पहल भी यहां जारी रहेगी और आईपीएसीसी के तहत वे इस यात्रा के अहम साझेदार रहेंगे।
वहीं, नई दिल्ली स्थित कनाडा के उच्चायोग में रक्षा अताशे कर्नल टॉड ब्रेथवेट ने कहा कि राजनयिक गतिरोध के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग जारी रहेगा। दोनों देशों के बीच बढ़े राजनयिक तनाव का रक्षा संबंधों पर नहीं पड़ेगा।