दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का हथियार है 'आर्टिफिशियल बारिश'? कैसे बनते हैं बादल? क्या है ये चाइनीज तकनीक
Delhi Artificial Rain: दिल्ली सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश करवाने के बारे में सोच रही है। आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट्स से इस पर रिपोर्ट मांगी है। यदि ऐसा होता है तो दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के जरिए नकली बारिश करवाई जायेगी।
अगले महीने से सर्दी का सीजन शुरु होने वाला है, जिससे गर्मी से परेशान लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन यही सर्दी का सीजन दिल्लीवासियों की परेशानियों को और बढ़ा देता है। क्योंकि सर्दियों का सीजन आते ही दिल्ली-एनसीआर में हवा खराब होने लगती है और इतनी प्रदूषित हो जाती है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है। राज्य सरकार हर बार की तरह प्लान लेकर आती हैं, लेकिन उससे बहुत ज्यादा राहत नहीं मिलती है।
दिल्ली सरकार का क्या है प्लान?
अब दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक नया प्लान लेकर आती है और वो खास प्लान है- आर्टिफिशियल बारिश। इसका मतलब है कि नकली बारिश के जरिए सरकार प्रदूषण की समस्या से निपटेगी। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को बताया कि सर्दियों के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आर्टिफिशियल बारिश करवाने के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीकी का इस्तेमाल करने के बारे में सोच रही है।
गोपाल राय ने बताया है कि दिल्ली सरकार राजधानी के अलग-अलग हॉटस्पॉट के लिए अलग-अलग वर्किंग प्लान तैयार कर रही है। मंगलवार को विंटर एक्शन प्लान पर चर्चा के लिए अहम बैठक बुलाई थी। इसमें आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट्स भी शामिल हुए थे। उन्होंने राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश करवाने का सुझाव दिया है।
इसी साल सफल हुई है टेस्टिंग
आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट साल 2017 से क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश करवाने की तकनीक पर काम चल रहा था। इसी साल जून में आईआईटी कानपुर को इसमें सफलता मिली थी। टेस्टिंग के दौरान सेना एयरक्राफ्ट को 5 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाया गया। इसके बाद क्लाउड सीडिंग टेक्नालॉजी का उपयोग करते हुए बादलों में एक केमिकल पाउडर छिड़का गया, जिससे पानी की बूंदें बनने लगी और कुछ देर के बाद आसपास के क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गई।
जानिए कैस करवाई जाती है आर्टिफिशियल बारिश?
क्लाउड सीडिंग एक तरह से मौसम में बदलाव करने की प्रक्रिया है। इसके जरिए आर्टिफिशियल तरीके से बारिश करवाई जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है। ये विमान सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड छोड़ते जाते हैं। इससे बादलों में पानी की बूंदें जम जाती हैं।
यही पानी की बूंदें फिर बारिश बनकर जमीन पर गिरती हैं। बता दें कि क्लाउड सीडिंग के जरिए करवाई गई आर्टिफिशियल बारिश सामान्य बारिश की मुकाबले थोड़ी तेज होती है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि इस दौरान कितनी मात्रा में केमिकल्स का उपयोग हो रहा है।