पत्नी के हत्यारे ने फंदा लगाकर दी जान, हाई सिक्योरिटी जेल में सुसाइड से मचा हड़कंप
अजमेर। राजस्थान की एकमात्र हाई सिक्योरिटी जेल में बंद विचाराधीन कैदी का शव संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे पर झूलता मिला। जिससे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। मृतक के फंदा लगाकर खुदकुशी करने की जानकारी अब तक सामने आई है। मृतक अपनी पत्नी की हत्या और जेल तोड़कर फरार होने के आरोप में बंद था। मृतक कैदी के परिजन की मौजूदगी में शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर परिजन के सुपुर्द किया जाएगा।
हाई सिक्योरिटी जेल के अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि देर रात लगभग डेढ़ से दो बजे के बीच 35 वर्षीय विचाराधीन कैदी जनवेद सहरिया ने फंदा लगा लिया। सूचना मिलते ही स्टाफ मौके पर पहुंचा। इसकी सूचना मजिस्ट्रेट को दी गई। जिसके बाद न्यायिक अधिकारी गौरव गर्वा जेल पहुंचे और मौका मुआयना किया। जिसके बाद शव को फंदे से उतारकर जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी भिजवाया गया। पारस जांगिड़ ने बताया कि मृतक कैदी बारां जिले का रहने वाला था और जेल के वार्ड 3 की सैल में बंद था। मृतक कैदी के परिजन को सूचित कर दिया गया है। उनकी मौजूदगी में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। मौत के कारणों की जांच न्यायिक अधिकारी करेंगे।
पायजामे को बनाया मौत का फंदा…
जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि मृतक कैदी ने अपनी सैल में लगभग दस फीट ऊंचे वेंटीलेटर पर चढ़कर पायजामा से फंदा बनाया और इसके बाद झूल गया। बताया जा रहा है कि मृतक कैदी जनदेव द्वारा अपनी ही पत्नी की जान लेने के चलते उसके परिजन ने भी उससे दूरी बना ली थी। ऐसे में वह डिप्रेशन में रहता था। संभवतया इसके चलते ही उसने खुदकुशी की है।
22 फरवरी को पत्नी का किया था मर्डर…
मृतक जनवेद ने गत 22 फरवरी को अपनी पत्नी की हत्या कर शव को खेत में फेंक दिया था। दो दिन बाद उसने खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया और हत्या करना कबूल किया। 25 फरवरी को आरोपी को बारां की सेंट्रल जेल में दाखिल करवाया गया।
जेल की दीवार फांदकर भागा…
1 मार्च को मृतक जनवेद जेल की दीवार फांदकर भाग गया था। कैदियों की गणना के समय इसकी जानकारी मिली। जिसके बाद पुलिस ने अलग से मुकदमा दर्ज कर जनवेद की तलाश में टीमें रवाना की। जनवेद को मध्यप्रदेश के जंगल से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद आरोपी को 14 मार्च को हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया था। जेल तोड़कर भागने के चलते उसकी विशेष निगरानी भी जेल में रखी जाती थी।
(इनपुट-नवीन वैष्णव)