Narad Jayanti 2023: क्यों मनाई जाती है नारद जयंती, जानिए कैसे हुए सृष्टि के पहले पत्रकार की उत्पत्ति
हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें कुछ त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाए जाते हैं जैसे- दिपावली, रक्षाबंधन और होली, तो कुछ त्योहारों के बारे में कम ही लोगों को पता होता है। ऐसा ही एक (Narad Jayanti 2023) त्योहार है नारद जयंती… जिसके बारे में शायद ही कोई जानता है। हालांकि नारद मुनी कौन थे उनके बारे में हर कोई जानता है। यह सभी भगवानों को प्रिय हैं। शास्त्रों की मानें तो नारद जी ने कठोर तपस्या कर देवऋषि का पद प्राप्त किया था।
उनकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई थी। जिस दिन वे प्रकट हुए थे उस दिन को आज नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। इस साल कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 6 मई को है। नारद जी सभी भगवानों के प्रिय थे लेकिन बावजूद इसके वे अविवाहित रहे। इसके पीछे क्या कारण थे जानेंगे आज के कॉर्नर में…
तीनों लोकों में करते थे विचरण
नारद मुनि को तीनों लोगों में स्वतंत्र विचरण करने का वरदान प्राप्त था। इसलिए वे बेझिझक पृथ्वी, आकाश और पाताल लोक में देवी-देवताओं और असुरों से मिलने जाया करते थे। इतना ही नहीं वे एक लोक के संदेश दूसरे लोक में पहुंचाने का काम भी करते थे। जिस लोक में कोई भी दुखी रहता था वे तुरंत उसी लोक में पहुंच जाते थे। इसलिए उन्हें सृष्टि का पहला पत्रकार भी कहा जाता है।
वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर खबर पहुंचाने का कार्य भी करते थे। इसके अलावा उन्हें देवों का दूत और संचारकर्ता भी कहा जाता है। उन्हें हमेशा चालायमान रहने और भ्रमणशील होने का वरदान मिला था। इसलिए एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वाद्य यंत्र लिए वे किसी भी लोक में गायन करते हुए चले जाते थे। वे अपने संदेशों को भी गाते हुए सुनाते थे।
ब्रह्मा जी के श्राप से रहे अविवाहित
बात करें उनकी उत्पत्ति की तो नारद मुनी भगवान ब्रह्मा के कंठ से उत्पन्न हुए थे। नारद जी के बारे में एक रोचक बात यह है कि वे हमेशा अविवाहित रहे। इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि उन्हें भगवान ब्रह्मा का श्राप मिला था। जिसके कारण वे अविवाहित रहे। दरअसल एक बार ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि वे सृष्टि के समस्त कार्यों में उनका साथ दें, उनका हाथ बटायें। लेकिन नारद जी ने उनका साथ देने से मना कर दिया। परिणामस्वरूप आज्ञा का पालन करने से मना करने पर ब्रह्मा जी ने उन्हें सदैव अविवाहित रहने का श्राप दे दिया। इसलिए नारद जी हमेशा कुंवारे रहे।
भगवान विष्णु के अवतार
देशभर में नारद जंयती धूमधाम से मनाई जाती है। नारद जी के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान विष्णु के ही अवतार थे। नारद जी को सभी लोकों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों का ज्ञान था। उन्हें संगीत, भूगोल, इतिहास, व्याकरण, पुराण, ज्योतिष और योग का अद्भुत ज्ञान प्राप्त था।
(Also Read- इस देश में है लौंग का सबसे पुराना पेड़, ईसा से तीन शताब्दी पूर्व से हो रहा इसका उपयोग)