कलेक्टर बनांएगे दलालों की सूची...रेगुलेशन के दायरे में डिजिटल मीडिया! जानें-क्यो खास है ये 4 विधेयक?
Parliament Special Session : नई दिल्ली। विपक्ष द्वारा संसद के 18 सितंबर से प्रस्तावित विशेष सत्र के एजेंडे को लेकर बार बार सवाल उठाए जाने के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को इसका एजेंडा जारी कर दिया है। पांच दिन के इस सत्र के दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा होगी।
लोकसभा सचिवालय द्वारा बुधवार को जारी बुलेटिन में इनके अलावा चार विधेयकों का भी उल्लेख है। इनमें एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 राज्यसभा से पारित एवं लोकसभा में लंबित हैं। वहीं, डाकघर विधेयक 2023 तथा मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 सूचीबद्ध है।
सरकार ने विशेष सत्र से पहले 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। हालांकि, सभी के लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर इन चार बिलों के पास होने से किस और क्या फायदा होगा।
जानिए…क्यों खास है ये बिल?
एडवोकेट संशोधन विधेयक-2023 : इस विधेयक का उद्देश्य कानूनी पुस्तकों पर अनावश्यक अधिनियमों की संख्या कम करने और अधिवक्ता अधिनियम-1961 में कानूनी व्यवसायी अधिनियम-1879 की धारा 36 के प्रावधानों को शामिल करना है। यानी यह बिल लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट की धारा 36 अदालतों में दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने की शक्ति प्रदान करेगा।
अदालतों में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो न्यायाधीशों, वकीलों और वादियों को प्रभावित करते हैं, ऐसे में ये बिल काफी अहम है। इस विधेयक में प्रावधान है कि उच्च न्यायालय‚ जिला न्यायाधीश‚ सत्र न्यायाधीश‚ जिला मजिस्ट्रेट भी ऐसे दलालों की सूची बनाकर प्रकाशित कर सकते हैं। यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो चुका है और लोकसभा में लंबित है।
प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक-2023 : इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता शुरू करना है। इस बिल के लागू होने के बाद लोगों को कई सहूलियतें मिलेंगी। खास बात ये है कि डिजिटल मीडिया भी रेगुलेशन के दायरे में आएगा। इसके अलावा इस बिल से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान हो जाएगी। यानी खुद का अखबार शुरू करने वाले लोग जिला कलेक्टर के पास भी आवेदन कर पाएंगे। यह बिल भी राज्यसभा से पारित हो चुका है और लोकसभा में लंबित हैं।
डाकघर विधेयक-2023 : यह विधेयक साल 1898 में बने पुराने डाकघर अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक डाकघर को पत्र भेजने के साथ पत्र प्राप्त करने, एकत्रित करने, भेजने व वितरित करने जैसी सेवाओं के विशेषाधिकार को खत्म करता है। इस विधेयक में डाकघर के पास खुद का विशिष्ट डाक टिकट जारी करने का विशेषाधिकार होगा।
यह अधिनियम पोस्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट को रोकने की भी अनुमति देता है। सुरक्षा और शांति को ध्यान में रखते हुए पोस्ट ऑफिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वह किसी शिपमेंट को रोकें या फिर नष्ट कर दें। यह बिल अगस्त में राज्यसभा में पेश किया गया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा शर्त) विधेयक-2023 : यह बिल निर्वाचन आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) एक्ट-1991 की जगह लेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव के उद्देश्य से पिछले महीने 10 अगस्त को केंद्र सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश किया था। संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
लेकिन, इस बिल में प्रावधान है कि चयन समिति के सुझावों पर राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होनी चाहिए। इस सिलेक्शन कमिटी में प्रधानमंत्री अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा सदस्य के रूप में एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को नामित किया जाएगा। लेकिन, लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता इस भूमिका में होगा।
ये खबर भी पढ़ें:-देश की आंखे नम…6 साल का बेटा, ढाई साल की बेटी छोड़ गए कर्नल मनप्रीत, आतंकी बुरहान के बने थे काल