2000 बच्चों की फोटो देख उकेरा बाल स्वरूप, कौन है अरुण योगीराज जिनका कमाल है रामलला की मूरत
Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का विधान पूरा हो गया है। 500 वर्षों से अधिक का इंतजार खत्म हो गया है। रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। श्रीराम के प्रथम दर्शन हो गए हैं। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। जिसके बाद पहली बार रामलला देशवासियों के सामने आए हैं। राम मंदिर के गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की पूजा अर्चना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही रामलला की आंख से पट्टी खोली और कमल का फूल लेकर पूजन किया। रामलला पीतांबर से सुशोभित हैं।
जिस मूर्ति का चयन हुआ उसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। अरुण योगीराज ने रामलला की बेहद खूबसूरत मूर्ति का निर्माण किया है। रामलला की मूर्ति में बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है।
कौन हैं मूर्तिकार अरुण योगीराज…
रामलला की मूर्ति का निर्माण करने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं। उनकी कई पीढियां इसी काम से जुड़े हुए हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घराने महलों में अपनी कला दिखाई थी। अरुण मूर्तिकार का मैसूर राजा के कलाकारों के परिवार से संबंध है।
6 महीने तक परिवार वालों से नहीं मिले…
अरुण योगीराज ने बताया कि वह अयोध्या के लिए वो सबसे उत्तम प्रतिमा बनाना चाहते थे। इस दौरान वो 6 महीने तक अपने परिवार वालों तक से नहीं मिले। अयोध्या में वो अपने कुलदेव की पूजा के साथ दिन की शुरुआत करते थे। इसके बाद वहां के पंडितों द्वारा की जाने वाली पूजा-अर्चना में हिस्सा लेते थे।
मूर्ति बनाते समय आंख में नुकीला पत्थर का टुकड़ा घुसा, हुई सर्जरी…
रामलला की प्रतिमा को बनाने के दौरान वो सात्विक आहार पर थे, और उनकी आंख में जख्म भी आया। अरुण योगीराज ने बताया कि मूर्ति बनाने के दौरान एक हादसा भी हो गया और उनकी आंख में एक पत्थर का नुकीला टुकड़ा घुस गया था। इसके बाद उनकी सर्जरी हुई। कई दिनों तक उन्हें एंटीबायोटिक और पेनकिलर्स पर रखा गया।
दादा की भविष्यवाणी हुई सच…
शुरुआत में अरुण योगीराज अपने पिता और दादा की तरह मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की। हालांकि, उनके दादा ने कहा था कि अरुण एक मूर्तिकार ही बनेगा और अंत में वही हुआ। अरुण एक मूर्तिकार बने और ऐसे मूर्तिकार, जिन्होंने साक्षात रामलला की मूर्ति बनाई।
करीब 200 किलोग्राम वजनी है मूर्ति…
भगवान राम की मूर्ति की विशेषताएं देखें तो इसमें कई तरह की खूबियां हैं। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। भगवान राम की मूर्ति कृष्ण शैली में बनाई गई है। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है, जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। मूर्ति में भगवान राम के कई अवतारों को तराशा गया है।
अरुण योगीराज ने बनाई हैं कई मूर्तियां…
अरुण योगीराज ने सिर्फ रामलला की ही मूर्ति नहीं बनाई है, बल्कि उन्होंने इससे पहले कई और भी मूर्तियां बनाई है, जिसके लिए उनकी तारीफ भी की गई है। अरुण योगीराज ने इंडिया गेट के पास स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति बनाई है। इसके अलावा अरुण योगीराज ने भगवान आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति बनाई है, जिसकी स्थापना केदारनाथ में की गई है। उन्होंने मैसूर में स्थापित भगवान हनुमान की 21 फीट की मूर्ति भी बनाई है।