राजनीतिक दलों को राष्ट्रीयता का दर्जा मिलने से क्या फायदे और छीनने से क्या नुकसान ? जानिए कब मिलता है राष्ट्रीय दल होने का स्टेटस
भारतीय निर्वाचन आयोग ने तीन राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को छीन लिया है। इनमें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस यानी TMC, शरद पवार की NCP यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और CPI यानी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी है। यह तीनों ही पार्टियां पहले राष्ट्रीय दर्जे की थी लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लगातार खराब प्रदर्शन को देखते हुए चुनाव आयोग में इनके राष्ट्रीय पार्टी होने के स्टेटस को छीन लिया है तो वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा दे दिया है।
निर्धारित पैमाने पर दिया जाता है स्टेटस
इस बीच कई लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि अगर किसी पार्टी को राष्ट्रीयता का दर्जा मिल गया तो क्या नई बात हो गई और अगर किसी पार्टी से राष्ट्रीयता का दर्जा छिन गया तो उसका क्या होगा? दरअसल चुनाव आयोग एक निर्धारित पैमाने पर किसी पार्टी को राष्ट्रीयता का दर्जा देता है। यह पैमाने सिंबल आर्डर 1968 के तहत आते हैं। इनसे ही चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और प्रदेश के राजनीतिक दलों के स्टेटस की समीक्षा करता है और उन्हें उनके करंट स्टेटस से बदलने की अधिकार रखता है।
ये होती है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने की शर्तें
इसे समझने के लिए आपको जानना होगा कि किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कब मिलता है और किसी पार्टी से उसकी नेशनलिटी का दर्जा कब छीना जाता है।
1- पार्टी जिसने 3 राज्यों को मिलाकर लोकसभा के कम से कम 3% सीटें जीत ली हों
2- जिसे कम से कम 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का स्टेटस मिला हो
3- उस पार्टी को उसके राज्य के दीजिए 25 सीटों या उसके किसी हिस्से के लिए लोकसभा में कम से कम 1 सीट पर जीत हासिल मिली हो
4- उस पार्टी ने लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में कम से कम 6% वोट हासिल किए हों। इसके अलावा उसके पास 4 लोकसभा सीटें भी होनी चाहिए।
ये वो प्रमुख पैमाने हैं जिनके आधार पर ECI यानी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा देता है। अगर कोई पार्टी इन पैमानों पर खरा उतरने में नाकामयाब होती है तो उसे यह मान्यता नहीं मिलती और अगर पहले वह राष्ट्रीय पार्टी रही होती है तो उससे यह स्टेटस छीन लिया जाता है। यानी उसे फिर से क्षेत्रीय दल का दर्जा दिया जाता है।
देश में ये हैं राष्ट्रीय पार्टियां
अभी तक भारत में 9 राष्ट्रीय पार्टियां थीं। जिसमें से TMC, CPI और NCP का राष्ट्रीयता का दर्जा छिन गया है। जिससे अब यह पार्टियां 6 रह गई हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, सीपीआई(एम), आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी शामिल हैं।
Sr. | Party Name | Short Name |
1 | भारतीय जनता पार्टी | BJP |
2 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | कांग्रेस (INC) |
3 | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) | CPI(M) माकपा |
4 | आम आदमी पार्टी | AAP |
5 | बहुजन समाज पार्टी | BSP (बसपा) |
6 | नेशनल पीपुल्स पार्टी | NPP |
राष्ट्रीय पार्टी होने पर क्या मिलता है और क्या छिनता है?
अगर कोई पार्टी राष्ट्रीय होती है तो उसे कई फायदे मिलते हैं जो उसे चुनावों में काफी सहयोग देते हैं और उनके जनता तक पहुंच काफी हद तक बढ़ जाती है। वहीं अगर पार्टी से राष्ट्रीयता छिन जाती है तो यह सारे सुविधाएं भी उससे वापस ले ली जाती है। जिससे जनता तक पहुंच और चुनावों में असहयोग की संभावना बढ़ जाती है।
1- राष्ट्रीय पार्टी दिल्ली में अपना केंद्रीय कार्यालय खोल सकती है जिसके लिए जमीन या बिल्डिंग सरकार देती है
2- पार्टी चुनाव प्रचार के लिए 40 स्टार कैंपेनर्स ला सकते है।जबकि क्षेत्रीय दल 20 स्टार प्रचारक उतार सकते हैं
3-यह पार्टी किसी भी राज्य में चुनाव लड़ सकती है। पूरे देश में यह अपने उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। इस पर कोई रोक टोक नहीं होगी
4- राष्ट्रीय पार्टी का चुनाव चिन्ह हर राज्य में होने वाले चुनाव में एक ही होता है। जबकि क्षेत्रीय दलों को यह चुनाव चिन्ह बदल-बदल कर मिलता है।
5- चुनाव में नामांकन के दौरान पार्टी के उम्मीदवार के साथ अगर कोई एक प्रस्तावक भी होता है तो भी उसे मान्य किया जाता है।
6- पार्टी को चुनाव से पहले दूरदर्शन के जरिए जनता तक अपना संदेश देने का एक टाइम स्लॉट दिया जाता है, जिससे जनता के बीच पहुंच आसान हो जाती है। जबकि क्षेत्रीय दलों को यह स्लॉट नहीं मिलता
7- राष्ट्रीय पार्टी का चुनाव चिन्ह EVM या बैलट पेपर पर पहले ही पेज पर दिखाई देगा जबकि क्षेत्रीय दलों के साथ ऐसा नहीं है।
8- राष्ट्रीय पार्टी को पॉलिटिकल फंडिंग काफी आसानी से मिल जाती है। जबकि क्षेत्रीय पार्टियों को इसके लिए जूझना पड़ता है। जिससे उनके प्रचार में प्रभाव पड़ता है। वे वैसा प्रदर्शन या प्रचार नहीं कर पाते जैसा राष्ट्रीय पार्टियां करती हैं।
ये है राज्य राजनीतिक पार्टियां
Sr. | Party Name | Short Name | कहां-कहां जनाधार |
1 | अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम | AIADMK | पुडुचेरी, तमिलनाडु |
2 | अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक | AIFB | पश्चिम बंगाल |
3 | ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन | AIMIM | तेलंगाना |
4 | अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस | AINRC | पुदुचेरी |
5 | ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट | AIUDF | असम |
6 | ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन | आजसू (AJSU) | झारखंड |
7 | असम गण परिषद | अगप (AGP) | असम |
8 | बीजू जनता दल | बीजद (BJD) | ओडिशा |
9 | बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट | बीपीएफ (BPF) | असम |
10 | देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कषगम | DMDK | तमिलनाडु |
11 | द्रविड़ मुनेत्र कड़गम | द्रमुक (DMK) | पुडुचेरी, तमिलनाडु |
12 | इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग | IUML | केरल |
13 | हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी | HSPDP | मेघालय |
14 | इंडियन नेशनल लोकदल | इनेलो | हरियाणा |
15 | इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग | IUML | केरल |
16 | जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस | JKNC | जम्मू और कश्मीर |
17 | जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी | JKNPP | जम्मू और कश्मीर |
18 | जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी | JKPDP | जम्मू और कश्मीर |
19 | जनता दल (सेक्युलर) | JD(S) | कर्नाटक, केरल |
20 | जनता दल (यूनाइटेड) | JD(U) | बिहार |
21 | झारखंड मुक्ति मोर्चा | झामुमो (JMM) | झारखंड |
22 | पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट | मेघालय | |
23 | केरल कांग्रेस (एम) | KC(M) | केरल |
24 | लोक जनशक्ति पार्टी | LJP | बिहार |
25 | महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना | MNS | महाराष्ट्र |
26 | महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी | MGP | गोवा |
27 | यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल | UPPL | असम |
28 | मिजो नेशनल फ्रंट | MNF | मिजोरम |
29 | मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस | MPC | मिजोरम |
30 | नागा पीपुल्स फ्रंट | NPF | मणिपुर, नागालैंड |
31 | नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी | NDPP | नगालैंड |
32 | पट्टाली मक्कल काची | PMK | पुडुचेरी, तमिलनाडु |
33 | पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल | PDA | अरुणाचल प्रदेश |
34 | राष्ट्रीय जनता दल | RJD | बिहार, झारखंड |
35 | राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी | RLP | राजस्थान |
36 | ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी | ZNP | मिजोरम |
37 | क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी | RSP | केरल, पश्चिम बंगाल |
38 | समाजवादी पार्टी | SP | उत्तर प्रदेश |
39 | शिरोमणि अकाली दल | शिअद | पंजाब |
40 | शिवसेना | SS | महाराष्ट्र |
41 | सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट | SDF | सिक्किम |
42 | सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा | SKM | सिक्किम |
43 | तेलंगाना राष्ट्र समिति | TRS | तेलंगाना |
44 | तेलुगु देशम पार्टी | TDP | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना |
45 | यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी | UDP | मेघालय |
46 | वाईएसआर कांग्रेस पार्टी | YSRCP | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना |
47 | समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) | SJP | उत्तर प्रदेश |
48 | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन | भाकपा (माले)एल | बिहार |
49 | गोवा फॉरवर्ड पार्टी | GFP | गोवा |
50 | इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा | IPFT | त्रिपुरा |
51 | जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ | JCC | छत्तीसगढ |
52 | जन नायक जनता पार्टी | JJP | हरियाणा |
बता दें कि देश में 53 प्रादेशिक राजनीतिक दल है जिसमें से अब आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीयता का दर्जा मिल गया है जिससे अब यह संख्या घटकर 52 हो गई है।
इसलिए TMC, CPI, NCP से छिना राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से चुनाव आयोग में इसलिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया क्योंकि बीते सालों में पार्टी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में वह प्रदर्शन नहीं कर पाई। जिससे उनका वोट प्रतिशत तो घटा ही है साथ ही विधानसभा और लोकसभा सीटों में भी काफी हद तक कमी आई है। जिससे वे एक राष्ट्रीय पार्टी होने के पैमाने पर फेल हो गईं।
चुनाव आयोग ने बताया था कि तृणमूल कांग्रेस गोवा और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में चुनाव में बेहद शर्मनाक प्रदर्शन कर रही थी, जिससे उसके स्टेटस में प्रभाव पड़ा और हमें यह दर्जा छीनना पड़ा। तो वही शरद पवार की एनसीपी भी गोवा मणिपुर मेघालय में खराब प्रदर्शन के चलते इन पैमानों पर नाकामयाब हो गई। धीरे-धीरे अपना जनाधार खोती जा रही कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई पश्चिम बंगाल और ओडिसा में भी वोट हासिल नहीं कर सकी। जिससे उसकी सीटों में अंतर आया और वह राष्ट्रीय पार्टी से क्षेत्रीय दल बन गई।