For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

डाक की भाषा में क्या होता है ‘फिलेटली’, जानिए कब जारी हुआ था पहला डाक टिकिट

12:49 PM Jan 18, 2023 IST | Supriya Sarkaar
डाक की भाषा में क्या होता है ‘फिलेटली’  जानिए कब जारी हुआ था पहला डाक टिकिट

हम में से कई लोगों को टिकिट इकट्ठे करने का शौक होता है। कोई सिक्के इकट्ठा करता है तो कोई यात्रा के टिकिट। इसी तरह किसी को डाक टिकिट जमा करने का शौक होता है। किसी भी व्यक्ति को डाक भेजने से पहले डाक टिकिट लगाना आवश्यक होता है। जब डाक पर डाक टिकिट लगा दिया जाता है, तो यह समझ लिया जाता है कि डाक भेजने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तथा ग्राहक अपना भुगतान कर चुका है।

Advertisement

विश्व में पहली बार डाक टिकट पर महारानी विक्टोरिया का चित्र लगाया गया था। इसे 1 अक्टूबर 1854 को जारी किया गया था। डाक टिकट एक आयताकार छोटा सा टुकड़ा होता है, इस पर अशोक स्तंभ या किसी महापुरूष की फोटो लगी होती है। डाक प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस पर मोहर लगाई जाती है। इसके बाद इसे प्रेषक तक भेजने के लिए वेद्य माना जाता है। आज के कॉर्नर में जानेंगे कि डाक की शुरुआत कब हुई तथा सबसे पहले इसपरल किसका चित्र लगाया गया था।

विश्व डाक दिवस 

पूरे विश्व में प्रतिवर्ष डाक दिवस मनाया जाता है। हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस मनाने का उद्देश्य आम लोगों को डाक की भूमिका के बारे में जागरूक करना है। वर्ष 1874 में इस दिन ’यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ के गठन के लिए 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया था। यह संधि स्विटजरलैण्ड के बर्न में हुई थी। इसलिए विश्व डाक दिवस मनाने के लिए इस दिन को चुना गया।

(Also Read- भारत में 1300 वर्ष पहले हुई थी लालटेन की खोज, आखिर क्या है इसके हरे रंग का कारण)

यह यूनियन पूरे विश्व में संचार क्रांति के उद्देश्यों पर ध्यान केन्द्रित करता है। साथ ही लोगों को एक-दूसरे को पत्र लिखने और अपने विचारों को साझा करने के लिए जागरूक करता है। बात करें भारत में डाक सेवा की शुरूआत की, तो भारत में पहली बार वर्ष 1766 में डाक व्‍य‍वस्‍था की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 1 जुलाई 1876 को भारत भी यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बन गया। इसकी सदस्यता लेने वाला भारत एशिया का पहला देश है।

डाक टिकटों का संग्रह

जिस तरह लोग सिक्के जमा करते हैं उसी तरह कई लोग डाक टिकिट का संग्रह करते हैं। डाक टिकिट जमा करने की प्रक्रिया को फिलेटली कहा जाता है। डाक टिकट यह दर्शाता है कि ग्राहक ने डाक का भुगतान कर दिया है। यह डाक टिकिट का भुगतान करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। डाक टिकट खरीदने के लिए डाक घर जाना पड़ता है। स्वतंत्र भारत का पहला डाक टिकट वर्ष 1947 में जारी किया गया था। इसके ऊपर जय हिंद और भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 लिखी हुई थी। इस पर तिरंगा झंडा भी बना हुआ था। इसका मुल्य तीन आना था। स्वतंत्र भारत में महात्मा गांधी पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनका चित्र डाक टिकट पर लगाया गया था।

भारत में डाक विभाग 

भारत में करीब 257 सालों से डाक विभाग का संचालन किया जा रहा है। देश में करीब डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस 150 वर्ष पुराने हैं। इनमें 89.87 प्रतिशत डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। एक विभाग के रूप में भारत में इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1854 को हुई थी। भारत के सभी डाक विभागों में 9 से 14 अक्टूबर के बीच विश्व डाक सप्ताह मनाया जाता है।

(Also Read- एक प्रकार का खनिज है चूना, सेहत के लिए भी फायदेमंद है यह पदार्थ)

.