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विजया एकादशी: लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए श्रीराम ने भी रखा था व्रत,अधर्म पर हुई थी धर्म की जीत

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। एकादशी का व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। शुक्ल पक्ष् और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत आता है।
03:32 PM Feb 11, 2023 IST | BHUP SINGH

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। एकादशी का व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। शुक्ल पक्ष् और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत आता है। फरवरी माह में कृष्ण पक्ष की ग्यारहवी तिथि को आने वाली एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।भगवान विष्णु को समर्पित इस एकादशी के दिन विधि-विधान से श्री हरी का पूजन करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन व्रत करने वालों को शत्रओं पर भी विजय प्राप्त होती है। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी जीत हासिल होती है।कहा जाता है कि श्री राम ने भी लंका पर विजय पाने के लिए इस व्रत को किया था। इस बार विजया एकादशी 16 और 17 फरवरी दोनों दिन आ रही है। वैष्णव मत को मानने वाले 17 फरवरी को एकादशी का व्रत करेगें।

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विजया एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में कई राजा-महाराजाओं ने युद्ध में विजय पाने के लिए इस व्रत को किया था और जीत हासिल की थी।इसी के साथ भगवान राम ने भी लंका पर आक्रमण से पहले पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत किया था। जब भगवान राम ,माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए वानर सेना के साथ लंका जाने के लिए निकले तो बीच में समुद्र आया। यह देखकर राम चिंतित हुए ।इस पर लक्ष्मण ने उन्हें ऋषि वकदाल्भ्य से सलाह लेने को कहा। वकदाल्भ्य मुनि ने उन्हें विजया एकादशी का व्रत करने को कहा। श्रीराम ने एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु का पूजन किया ।इसके बाद श्रीराम समुद्र को पार कर लंका गये और रावण से युद्ध में विजय प्राप्त की।ऐसा कहा जाता है कि तभी से विजया एकादशी का व्रत रखने की परंपरा प्रारंभ हुई।

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एकादशी की तिथि और मुहूर्त

विजया एकादशी तिथि का प्रारंभ-16 फरवरी 2023 को प्रात: 5 बजकर 32 मिनिट पर होगा।
एकादशी तिथि समाप्त -17 फरवरी 2023 दोपहर 2 बजकर 49 मिनिट पर होगी।
एकादशी तिथि का पारण -17 फरवरी को 8 बजकर 1 मिनिट से 9 बजकर 13 मिनिट पर होगा।

विष्णु पूजा में लगायें सात्विक भोग

-इस दिन सुबह स्नान ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाऐं।
-घर के मंदिर में दीपक प्रज्वल्लित करें ।
-भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगा जल से स्नान करायें ।
-श्रीहरी को तुलसी दल और पुष्प अर्पित करें ।
-इस दिन एकादशी का व्रत जरुर करें।
-भगवान की आरती करें।
-भगवान को भोग अर्पित करें । भोग में श्री हरी को सात्विक भोजन या प्रसाद रखा जाता है। भोग में तुलसी रखना जरूरी होता है। तुलसी के बिना विष्णु भगवान भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी नारायण प्रभु के साथ पूजा करनी चाहिए।

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