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पीड़ित को 16 साल बाद मिला न्याय, खराब कार को बदलकर देने के आदेश

देरी से न्याय का हनन होता है यह कहावत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली के इस निर्णय ने चरितार्थ कर दी है।
03:05 PM Apr 17, 2023 IST | Anil Prajapat

अजमेर। देरी से न्याय का हनन होता है यह कहावत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली के इस निर्णय ने चरितार्थ कर दी है। दरअसल, 30 जून 2007 को करीब 9 लाख रुपए में खरीदी गई लग्जरी कार डिफेक्टिव निकली और उस डिफेक्टिव कार को बदलवाने या उसकी कीमत प्राप्त करने के लिए अजमेर के माकड़वाली रोड निवासी रणजीत सिंह चौधरी को करीब 16 साल लग गए। चौधरी के इस प्रकरण से उपभोक्ता अदालतों की उपयोगिता व कार्यशैली पर सवालिया निशान लग गया है। उपभोक्ता अदालत में चले इस प्रकरण की भी एक रोचक कहानी है।

माकड़वाली रोड निवासी रणजीत सिंह चौधरी के एडवोकेट सूर्यप्रकाश गांधी ने बताया कि चौधरी ने 30 जून 2007 को टाटा इंडियो एक्स एल यूरो कार खरीदी थी। कार में 4-5 दिन बाद ही स्टार्टिंग प्रॉब्लम आ गई, उसके बाद रोज नई समस्या आने लगी। प्रार्थी की कार 13 बार सर्विस स्टेशन गई, लेकिन कार की डिफेक्ट दूर नही हो सकी। कार 26 अगस्त 2008 से मुदगल मोटर्स पर पड़ी है। ऐसे में चौधरी ने मज़बूर होकर उनके जरिए उपभोक्ता मंच अजमेर में परिवाद किया। मंच ने 12 जनवरी 2011 को अपने निर्णय में अप्रार्थीगण को खराब कार बेचने के लिए अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का जिम्मेदार ठहरा कर प्रार्थी को नई कार या उसकी कीमत ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। टाटा मोटर्स ने अजमेर मंच के निर्णय को अपील के जरिये राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर में चुनौती दी। राज्य आयोग ने 15 मई 2012 को टाटा मोटर्स की अपील खारिज कर अजमेर मंच के निर्णय को उचित ठहराया।

टाटा मोटर्स ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के समक्ष लगाई याचिका

एडवोकेट सूर्यप्रकाश गांधी ने बताया कि राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर के निर्णय के विरुद्ध टाटा मोटर्स और मुदगल मोटर्स ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली में रिवीजन याचिका पेश कर निचली दोनों उपभोक्ता अदालत के निर्णय को गलत बताते हुए जिला मंच अजमेर के निर्णय को रद्द करने की गुजारिश की। गांधी ने बताया कि राष्ट्रीय आयोग के समक्ष उन्होंने तर्क दिया कि निचली दो अदालतों ने अपने निर्णय में समान निष्कर्ष निकाल कर आदेश पारित किया है इसलिए राज्य आयोग के निर्णय के विरुद्ध अप्रार्थीगण को तब तक रिवीजनल पावर नही है जब कि निर्णय में कोई कानूनी अनिमयतता न हो।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आर के अग्रवाल ने एडवोकेट गांधी के तर्कों से सहमत होते हुए टाटा मोटर्स और मुदगल मोटर्स की रिवीजन याचिका ख़ारिज कर अपने निर्णय में लिखा कि जिला मंच अजमेर और राज्य आयोग जयपुर दोनों ने अपने निर्णय में अप्रार्थीगण को खराब कार बेचने के लिए अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का जिम्मेदार माना है। दोनों निचली अदालतों ने उपलब्ध साक्ष्य और सभी कानूनी पहलुओं पर ध्यान देकर तथा समान फाइंडिंग देकर निर्णय पारित किया है इसलिए राज्य आयोग जयपुर के निर्णय में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नही है।

यह दिया आदेश

एडवोकेट गांधी ने बताया कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली ने अपने एक निर्णय में जिला उपभोक्ता आयोग अजमेर और राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर के निर्णय को बरकरार रखते हुए टाटा मोटर्स और मुदगल मोटर्स अजमेर को आदेश दिया कि वह माकड़वाली रोड निवासी रणजीत सिंह चौधरी को टाटा इंडिगो एक्सएल ग्रांड यूरो कार बदल कर दे या कार की क़ीमत 8 लाख 7 हज़ार 750 रुपये कार खरीदने की दिनांक से 9 प्रतिशत ब्याज व दो हजार पांच सौ रुपए अदा करे।

पूर्व में की एकपक्षीय कार्रवाई

गांधी ने बताया कि जिसमें 11 जुलाई 2008 को चौधरी ने अपनी कार के लिए जिला उपभोक्ता मंच अजमेर में परिवाद प्रस्तुत किया। मंच की ओर से टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स को नोटिस भेजे लेकिन कोई नहीं आया तो मंच ने एकपक्षीय कार्यवाही कर आदेश लिखा दिया और नई कार या उसकी राशि अदा करने का आदेश दिया । मंच के एक पक्षीय निर्णय के विरुद्ध टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स ने राज्य आयोग जयपुर में अपील प्रस्तुत की। राज्य आयोग ने इस प्रकरण को जिला मंच अजमेर को सौंपा और दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय पारित करने को निर्देशित किया । जिला मंच अजमेर ने पुनः इस प्रकरण की सुनवाई की। मंच ने सभी पक्षों को सुना और 12 जनवरी 2011 को अपना निर्णय पारित कर प्रार्थी को नई का या उसकी राशि अदा करने का आदेश दिया । टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स ने जिला मंच अजमेर के निर्णय की पुनः अपील की। राज्य आयोग ने अपने निर्णय में दोनों की अपील खारिज कर जिला मंच अजमेर के निर्णय को बरकरार रखा।

टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स ने राज्य आयोग के निर्णय के विरुद्ध राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली में रिवीजन याचिका पेश की। राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली की सर्किट बेंच 4 फरवरी 2020 को जयपुर आई तब इस प्रकरण में सुनवाई हुई। उसके बाद निर्णय रिजर्व कर लिया गया 1 एक साल बीता 2 साल बिता और 3 साल 3 साल बीत गया । निर्णय नहीं आया तो रणजीत सिंह ने राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष को लिखित शिकायत भेजी तब जाकर 13 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली ने अपना निर्णय पारित कर टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स दोनों की रिवीजन याचिका खारिज कर दी। जिला मंच अजमेर के निर्णय को बरकरार रखते हुए प्रार्थी गण को आदेश दिया कि वह प्रार्थी को नई कार या उसकी राशि मय ब्याज अदा करें । प्रार्थी को 16 साल बाद नेशनल कमीशन तक जाने पर न्याय मिला है और अभी क्या पता निर्णय की पालना हो या नहीं क्योंकि अभी टाटा मोटर्स और मुद्गल मोटर्स के पास सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दायर करने का अधिकार है। रणजीत सिंह चौधरी को पता नहीं कार की राशि कब प्राप्त होगी लेकिन इस फैसले ने उपभोक्ता मंच की कार्यशैली पर जरूर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है क्योंकि कानून ने 90 दिन में प्रकरण के निस्तारण करने का करने की व्यवस्था कर रखी है।

(नवीन वैष्णव)

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