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‘मैं किसान पुत्र.. इसलिए उस बयान को किया बर्दाश्त’ बिना नाम लिए उपराष्ट्रपति का गहलोत पर फिर पलटवार

उपराष्ट्रपति ने सीएम अशोक गहलोत की ओर से उनके दौरों को लेकर उठाए गए सवाल पर इशारों में जवाब दिया और कहा कि अगर किसानों के कल्याण के लिए कहीं जाता हूं तो कुछ लोगों को आपत्ति क्यों होती है? 
08:29 AM Oct 08, 2023 IST | Anil Prajapat

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को एक बार फिर राजस्थान के श्रीगंगानगर और जोधपुर दौरे पर रहे। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने सीएम अशोक गहलोत की ओर से उनके दौरों को लेकर उठाए गए सवाल पर इशारों में जवाब दिया और कहा कि अगर किसानों के कल्याण के लिए कहीं जाता हूं तो कुछ लोगों को आपत्ति क्यों होती है? 

धनखड़ ने कहा कि मैंने उस बयान को बर्दाश्त किया, वो इसलिए कि मैं किसान पुत्र हूं। किसान के लिए कोई मेरी आलोचना करे, कोई बयान दे, कोई कहे की बार-बार क्यों आते हैं, यह उनके सोचने की बात है। यह मेरा मौलिक दायित्व है कि मैं किसान के लिए प्रांत और देश में हर सकारात्मक कदम उठाने में सहायता करूं। यह में लगातार करता रहूंगा। मैं आता रहूंगा, क्योंकि मुझे आपकी ताकत मिलती है।

बड़े पद की गरिमा को समझो 

उन्होंने कहा कि इतने बड़े पद की गरिमा छोटी सोच से खराब मत करो, इस पद की गरिमा समझो और समझ कर छोटी राजनीतिक अखाड़ेमें मत फंसाओ। जिन लोगों ने ऐसा किया है, मैं मानकर चलता हूं विवेकपूर्वक सोचेंगे, समझेंगे सही रास्ते पर आएंगे। मैं कह सकता हूं कि आपका बेटा किसान के काम के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

पीएम ने दुनिया में भारत को नाम दिया 

जोधपुर में अपने संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दनिु या में भारत को वो नाम दिया, जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी। उन्होंने राज्यसभा में मेरा परिचय कृषक पुत्र के रूप में करवाया। कई दशकों तक मैं वकालत करता रहा, लोकसभा सदस्य बना, विधायक बना, लेकिन पीएम ने मेरी पहचान वकील या राजनेता के तौर पर नहीं कृषक पुत्र के रूप में कराई।

यह मात्र मेरी पहचान नहीं थी, उन्होंने मेरे कंधों पर बहुत बड़ा भार डाला कि आपके देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर आसीन होने में किसान का योगदान है। मुझे समझ में नहीं आता कि कृ षक पुत्र का किसान के प्रति समर्पण कुछ लोगों को रास क्यों नहीं आ रहा है? प्रदेश में मेरी यात्राओं को लेकर अनर्गल बात करना मुझे अच्छा नहीं लगता।

देश की अर्थव्यवस्था में किसान का हाथ 

धनखड़ ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में किसान का हाथ है, किसान के बिना बदलाव संभव नहीं है। इसलिए मैं आपको आज तीन बातें विशेष तौर पर कहने आया हूं। बदलाव किसान को लाना है। किसान ने जिस दिन कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने कब्जेमें ले लिया, अपना वाजिब हिस्सा लिया, मान कर चलिए, बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

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