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दीक्षांत समारोह में नरेंद्र सिंह तोमर का संबोधन, कहा- कृषि में हो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

12:08 PM Feb 19, 2023 IST | Supriya Sarkaar

जयपुर। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान में हो रहे दीक्षान्त समारोह में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कृषि से जुड़े कई तथ्यों और विकास कार्यों की बात की। इस समारोह में उनके साथ केंद्रीय क़ृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, जयपुर सांसद रामचरण बोहरा, जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी मौजूद रहे। 

समारोह में मंत्री का सम्बोधन

दीक्षान्त समारोह के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संबोधन दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि आपके संस्थान में आकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। ये ऐसा संस्थान है जो शिक्षा भी देता है, रोज़गार भी देता है। दुनिया के जितने भी इंस्टिट्यूट है, उनकी रैंकिंग होगी तो उसमें NIAM का नंबर भी आएगा। साथ ही उन्होंने समारोह में डिग्री पाने वाले सभी स्टूडेंट्स को शुभकामनाएं दी और छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की। 

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देश के लिए कृषि बहुत महत्वपूर्ण 

अपने संबोधन में तोमर ने कहा कि भारत के लिए कृषि क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में लोगों की रूचि बढ़े, यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है। क़ृषि आजीविका भी है और देशभक्ति भी है। पैसा कमाने के लिए तो कई क्षेत्र है, लेकिन कृषि कार्य वाले लोग कम हो गए हैं। ऐसे में पैसे तो होंगे लेकिन खरीदने के लिए उत्पाद नहीं होंगे। 

कृषि में लागत कम और कमाई ज्यादा 

मंत्री ने कहा कि इसपर भी ध्यान देना चाहिए कि कृषि में लागत कम हो, कमाई ज़्यादा हो। फसलों का उचित दाम मिलें और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उत्पादन बढ़े। इसपर भी ध्यान देना चाहिए कि किसान और खरीददार के बीच बिचौलिए कैसे खत्म हो। जिससे कि किसान को अच्छा दाम मिले। 

टेक्नोलॉजी का हो इस्तेमाल हो

उन्होंने कृषि में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि खेती में जलवायु, अनुकूल फसलों के बीज और किस्म पर ध्यान देना चाहिए। आज देश खाद्यान्न, बागवानी और दुग्ध उत्पादन में पहल नंंबर पर है। पूरी दुनिया में भारत कृषि मामले में पहले या दूसरे स्थान पर खड़ा है। पहले हम आयात पर निर्भर करते थे लेकिन अब आधी दुनिया दवाई के लिए भारत पर निर्भर है। अनुसंधान में कमी नहीं है, ये निरंतरता का क्रम है, किसान की मेहनत, सरकार की योजनाओं में कमी नहीं है। किसानों को फ़सल का वाजिब दाम मिले इसके लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होना चाहिए।

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