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दुनिया का सबसे अजीबोगरीब गांव, जहां पुरुषों का आना है वर्जित…जानिए इसके पीछे क्या है वजह?

05:43 PM Oct 04, 2023 IST | Sanjay Raiswal
दुनिया का सबसे अजीबोगरीब गांव  जहां पुरुषों का आना है वर्जित…जानिए इसके पीछे क्या है वजह

नई दिल्ली। दुनिया के अलग-अलग देशों और धर्मों में रीति-रिवाज भी अलग-अलग हैं। हालांकि, रीति-रिवाज, परंपराएं और रस्में चाहे कुछ भी हों, उन्हें उस देश में मामना ही पड़ता है। ऐसा भी हो सकता है कि लोग जिन रस्मों का पालन करते हैं, वो किसी के लिए काफी अजीब हों। आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यूं तो दुनिया में कोई भी देश हो वह महिला और पुरूष के बिना अधूरा है। लेकिन इस दुनिया में एक ऐसा देश भी है जिसके गांव में सिर्फ महिलाएं ही रहती हैं।

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केन्या की राजधानी नैरोबी के पास एक गांव है उमोजा। यह एक ऐसा गांव है जहां केवल महिलाएं रहती हैं और उन्हीं का शासन चलता है। इस गांव की खासियत है कि यहां कोई पुरुष प्रवेश नहीं कर सकता है। इस गांव के घरों के डिजाइन, सड़कें पेड़- पौधे, जंगल सबकुछ तो आम है। यहां जो खास और अजीब है वो है यहां के रहने वाले निवासी। करीब 30 सालों इस पूरे गांव में केवल महिलाएं ही रहती हैं।

पुरूषों की आने पर पूरी तरह से बैन…

इस गांव में पुरूषों के आने पर पूरी तरह से बैन है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार तीन दशक पहले रेबिका लोलोसोली नाम की महिला ने अपने समाज में महिलाओं पर हिंसा और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। रेबिका की इस आवाज को घरेलू हिंसा की सताई 15 और औरतों का समर्थन मिला और एक गांव बनाया गया- उमोजा, जहां मर्दों के आने पर पूरी तरह मनाही है। बता दें उमोजा का मतलब एकता होता है।

15 रेप सर्वाइवर्स के साथ मिलकर बनाया गांव…

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव की स्थापना साल 1990 में रेबिका के अलावा उन 15 महिलाओं के एक समूह द्वारा की गई थी। संबुरु और इसिओसो के पास स्थित ट्रेडिंग सीमा के आसपास के इलाकों में ब्रिटिश जवानों ने इन महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था। जिसके बाद इनके समुदाय में इन्हे घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा, जैसे इन्होंने गलती की हो। कई दुष्कर्म पीड़िताएं तो ऐसी भी हैं जिनका कहना है कि उनके साथ हुए अपराध के बाद उनके पति ने उन्हें परिवार के लिए अपमानजनक माना और घर से निकाल दिया। इस जगह पर उन्हें एक भूमि मिली। महिलाएं यहां आकर रहने लगीं और गांव को नाम दिया उमोजा, जो एकता को प्रदर्शित करता है।

धीरे-धीरे यह उमोजा गांव एक शरणास्थल के रूप में बदल गया। यहां उन सभी महिलाओं का स्वागत किया जाता है, जिन्हें घर से निकाल दिया जाता है। यहां अपनी शादीशुदा जिंदगी में परेशान, फीमेल म्यूटिलेशन से पीड़ित महिलाएं, दुष्कर्म और अन्य अपराधों से पीड़ित महिलाएं आती हैं। कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने पति की मौत के बाद यहां आती हैं। उमोजा की आबादी ने अब बाल विवाह, एफजीएम (खतना), घरेलू हिंसा और बलात्कार से बचने वाली किसी भी महिला के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह खुले रखे हैं।

कई पुरूषों ने मिलकर की थी रेबिका की पिटाई…

इस अनोखे गांव की कहानी लेकर बताया जाता है कि साल 1990 में रेबिका को महिलाओं को उनका अधिकार बताने के लिए पुरुषों के एक समूह द्वारा बुरी तरह पीटा गया था। ऐसे में जब वह अस्पताल में थी, तभी उनके मन में केवल महिलाओं के लिए समुदाय या गांव बनाने का का विचार आया। यह पिटाई उसे अपने गांव की महिलाओं से उनके अधिकारों के बारे में बात करने का साहस करने के लिए सबक सिखाने के लिए की गई थी।

मेल डोमिनेटिंग मसाई जनजाति का प्रभाव रहा…

बता दें कि सम्बुरु इलाका मासाई जनजाति से निकटता से संबंधित हैं, जो एक जैसी भाषा बोलते हैं। वे आम तौर पर पांच से 10 परिवारों के समूह में रहते हैं और चरवाहे का काम करते हैं। उनकी संस्कृति पूरी तरह से पितृसत्तात्मक यानी मेल डोमिनेटिंग है। गांव की बैठकों में पुरुष गांव के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक इंटरनल सर्किल में बैठते हैं, जबकि महिलाएं बाहर बैठती हैं। बहुत कम ही ऐसा होता है जब उन्हें अपनी राय देने की इजाजत होती है। इसी जनजाति के प्रभाव के चलते गांव बसने से पहले ये महिलाएं दबी कुचली रहीं। उमोजा के पहली सदस्य महिलाएं रिफ्ट घाटी के पार बसे अलग-थलग सांबुरु गांवों से आईं थी। तब से, जो महिलाएं और लड़कियां शरण के बारे में सुनती हैं वे इस गांव में आती हैं और व्यापार करना, अपने बच्चों का पालन-पोषण करना और पुरुष हिंसा और भेदभाव के डर के बिना रहना सीखती हैं।

इस उम्र में गांव से बाहर किए जाते हैं लड़के…

उमोजा गांव में फिलहाल 47 महिलाएं और 200 बच्चे हैं। इनमें से लड़कों को 18 साल का होते ही गांव से बाहर काम करने को कह दिया जाता है। हालांकि यहां के निवासी बेहद कम खर्च में रहते हैं। यहां की महिलाएं और लड़कियां छोटे-मोटे काम से इतना कमा लेती हैं कि सभी के लिए भोजन, कपड़े और घर हो सके। गांव की कुछ महिलाएं नदी के किनारे एक किलोमीटर दूर एक कैंपसाइट चलाती हैं, जहां सफारी पर्यटकों के समूह रुकते हैं। इनमें से कई पर्यटक, और आसपास के प्राकृतिक भंडारों से गुजरने वाले अन्य लोग, उमोजा भी जाते हैं। महिलाएं मामूली एंट्री फीस लेती हैं और हाथ की बनी चीजें पर्यटकों को बेचती हैं।

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