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गलत नोटिस दे जनता को परेशान किया तो खैर नहीं, UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अफसरों को चेताया

यूडीएच मंत्री ने नगरीय निकायों में रिक्त चल रहे पदों की समस्या को नासूर बताते हुए कहा कि एक फुंसी शरीर पर होती है। उसका तत्काल इलाज हो जाता है। यदि वो नासूर बन जाती है तो उसके इलाज में काफी समय लगता है।
08:58 AM Feb 10, 2024 IST | Anil Prajapat
Jhabar Singh Kharra

Jhabar Singh Kharra : जयपुर। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा चेताया कि ‘अगर किसी अधिकारी ने गलत नोटिस देकर आम जनता को परेशान किया है, तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खर्रा शुक्रवार को मानसरोवर में आयोजित नारी शक्ति बंधन सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। यूडीएच मंत्री ने नगरीय निकायों में रिक्त चल रहे पदों की समस्या को नासूर बताते हुए कहा कि एक फुंसी शरीर पर होती है। उसका तत्काल इलाज हो जाता है। यदि वो नासूर बन जाती है तो उसके इलाज में काफी समय लगता है। इस नासूर का इलाज करके छोड़ेंगे।

मंत्री खर्रा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लेकर काफी शिकायतें मिली हैं। उन्हें तो रोक रखा है, जबकि कुछ योजनाएं कछुआ चाल से चल रही हैं। इस संबंध में सभी विभागों से जानकारी ली जा रही है। इसको लेकर अधिकारी मॉनिटरिंग में भी जुट गए हैं। विभागीय समीक्षा के बाद आने वाले समय में इसको लेकर सुखद परिणाम देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि जयपुर में द्रव्यवती नदी में भी सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है।

आईटी सिटी की परिकल्पना करेंगे साकार

उन्होंने कहा कि जयपुर में मेट्रो विस्तार को लेकर भारत सरकार से भी चर्चा हुई है। प्रदेश में भी चर्चा हुई है। जल्द ही इस प्रोजेक्ट को फाइनल कर निर्माण कार्य शुरू करवाएं गे। इसके साथ ही जिस तरह बेंगलुरु ने आईटी सिटी को लेकर अपनी पहचान बनाई है। उसी तरह जयपुर में भी आईटी सिटी की परिकल्पना को साकार करेंगे। जयपुर में जब उसे जब मूर्त रूप देंगे, निश्चित रूप से निवेश होगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। राजस्थान को आर्थिक रूप से उसका फायदा भी मिलेगा।

शिक्षा पद्धति पर उठाए सवाल

इससे पहले खर्रा ने मंच से शिक्षा पद्धति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहा कि एक समय था जब दो तरह के गुरुकुल हुआ करते थे। एक गुरुकुल प्रत्येक बस्ती में था, उसका एक शिक्षक होता था। उस शिक्षक के सभी आवश्यकताओं की पूर्ति पूरा समाज मिलकर करता था। कुछ गुरुकुल जंगल में स्थित होते थे, जिसमें बच्चों को एक आयु वर्ग का होने पर गुरुकुल में डाला जाता था। 25 साल तक गुरुकुल में रहकर पढ़ाई करके किसी न किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करता था।

आज जिस शिक्षा पद्धति के अनुसार पढ़ाई कर रहे हैं। इससे दो तरह के लोग बन रहे हैं, एक वाइट कॉलर और एक ब्लू कॉलर। ब्लू कॉलर के लोग मेहनत करके अपने आप को, अपने परिवार को और राष्ट्र को आगे बढ़ाने की सोचता है, जबकि व्हाइट कॉलर के बारे में ज्यादा टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।

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