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मेहंदी रचा संगीत में थिरके 'दोनों दूल्हे…' उदयपुर में होगी समलैंगिक जोड़े की शादी, हिंदू रीति-रिवाज से लेंगे फेरे

समलैंगिक विवाह के लिए उदयपुर आया युवकों का यह जोड़ा अमेरिका में एक साथ नौकरी करता है.
12:12 PM Nov 24, 2023 IST | Sanjay Raiswal

Udaipur Gay Wedding in Udaipur: : झीलों की नगरी कहे जाने वाले उदयपुर शहर शाही शादियों और डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। लेकिन, उदयपुर अब पहली और अनूठी शादी का गवाह बनने जा रहा है। इस बार ये वेडिंग समलैंगिक जोड़ों के बीच है। देवउठनी ग्यारस के दिन सेक्टर-11 स्थित लग्जरी होटल जस्ता राजपूताना रिसोर्ट में शाही अंदाज में इस शादी की रस्में शुरू हुई। राजपुताना रिसोर्ट में गुरुवार को मेहंदी, संगीत और अंगूठी की रस्में हुईं। वहीं आज शादी होनी है।

शादी को रखा गया बेहद गोपनीय

समलैंगिक विवाह के लिए उदयपुर आया युवकों का यह जोड़ा अमेरिका में एक साथ नौकरी करता है। इनमें से एक युवक एनआरआई तो दूसरा अमेरिकी नागरिक है। इन दोनों ने जीवनभर साथ रहने का फैसला किया है। इसके बाद बकायदा डेस्टिनेशन वेडिंग का कार्यक्रम भी बनाया गया।

इस शादी को बेहद गोपनीय रखा गया है। शादी के कार्ड वेबसाइट के जरिए भेजे गए हैं। इस अनूठी शादी में देश-विदेश से 100 से अधिक मेहमानों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। दोनों के फेरे पारंपरिक तरीके से 24 नवंबर को लिए जाएंगे। उदयपुर के साथ ही संभवत: प्रदेश की भी पहली शाही समलैंगिक शादी मानी जा रही है।

हिंदू विवाह की परंपराओं से निमंत्रण

शादी के इस निमंत्रण कार्ड में हिंदू विवाह की परंपराओं के बारे में जानकारी देते हुए निमंत्रण भेजा गया है। निमंत्रण कार्ड पर अन्य शादियों के जैसे ही भगवान गणेश जी के मंत्र भी हैं। लड़की के नाम की जगह लड़के का नाम है। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं है, लेकिन अगर कोई साथ रहना चाहता है तो सरकार उन्हें सुरक्षा देगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कही है। समलैंगिक विवाह को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी है इजाजत

भारत में इस प्रकार के विवाह को कानून के साथ-साथ समाज द्वारा भी मान्यत नहीं दी जाती है। हाल ही देश में समलैंगिक विवाह को लेकर बहस छिड़ी थी। इस मामले में याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कानून बनाने का काम संसद और विधानसभाओं का है। न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि समलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है।

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