14 दिनों में तीसरी बार मेवाड़ में मुखिया, आखिर क्यों बार-बार उदयपुर जा रहे गहलोत
उदयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर 2 दिवसीय मेवाड़ के दौरे पर है जहां वह रविवार शाम को झीलों की नगरी उदयपुर पहुंचे और फतहसागर झील किनारे सैर का आनंद लेने के बाद मुम्बईया बाजार में लोगों के साथ चाय-नाश्ता किया. वहीं मुख्यमंत्री सोमवार उदयपुर में ही 5 अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे. चुनावी साल में गहलोत के लगातार हो रहे उदयपुर दौरे में कांग्रेस की नई रणनीति के संकेत साफ नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि गहलोत मेवाड़ की 28 सीटों पर 2023 में मात नहीं खाना चाहते हैं इसलिए वह पिछले 14 दिनों में तीसरी बार उदयपुर पहुंचे हैं. इससे पहले गहलोत ने उदयपुर के मावली में महंगाई राहत कैंप का दौरा किया था और मई की शुरूआत में अपना जन्मदिन भी आदिवासी इलाके कोटड़ा और झाडोल में मनाया था.
राजस्थान की राजनीति का इतिहास कहता है कि जिसने मेवाड़ जीत लिया सत्ता की कुर्सी पर वही काबिज होता है लेकिन 2018 के चुनावों में यह मिथक टूट गया था जहां पिछली बार उदयपुर की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. हालांकि कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही थी.
इसके अलावा 2018 के चुनावों में मेवाड़ के आदिवासी बेल्ट में रीजनल पार्टी बीटीपी के उभार का भी कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा था. वहीं मेवाड़ इलाके से बीजेपी के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद सियासी तौर पर वहां स्पेस खाली है ऐसे में कांग्रेस बीजेपी को कोई मौका नहीं देना चाहती है.
मालूम हो कि मेवाड़ में सालों से कांग्रेस का सिक्का चलता आया है और उदयपुर से ही आने वाले मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान के 17 साल का सीएम रहे लेकिन सुखाड़िया के जाने के बाद मेवाड़ में कांग्रेस कमजोर होती चली गई और इसके बाद यहां बीजेपी ने सेंध लगा ली. अब एक बार फिर कांग्रेस मेवाड़ के सहारे राजस्थान की सत्ता में वापसी करना चाहती है.
उदयपुर की 8 सीटों पर घमासान!
उदयपुर शहर सीट की बात करें तो पिछले 4 चुनावों से यहां बीजेपी का कद्दावर चेहरा गुलाबचंद कटारिया जीत रहे हैं लेकिन पहली बार कटारिया चुनावी मैदान में नहीं होंगे ऐसे में दोनों ही पार्टियों से किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. वहीं उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से बीजेपी के फूल सिंह मीणा जीत रहे हैं.
इसके अलावा सलूम्बर और गोगुंदा में भी पिछले दो बार से बीजेपी जीत रही है. वहीं उदयपुर की सबसे हॉट सीट कही जाने वाली वल्लभनगर विधानसभा सीट जहां से वर्तमान में विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति है जिन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही खेरवाडा और झाडोल विधानसभा सीट पर दोनों पार्टियों का आना-जाना लगा रहता है.
राजसमन्द और चित्तौड़गढ़ में बराबर का खेल
वहीं राजसमन्द में 4 विधानसभा सीटें हैं जहां राजसमन्द शहर और नाथद्वार सीट पर कांटे की टक्कर होती है. राजसमन्द शहर से बीजेपी की किरण माहेश्वरी 4 बार से विधायक रही और उनके निधन के बाद उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी ने वहां से जीत हासिल की. वहीं नाथद्वारा सीट से अभी कांग्रेस से सीपी जोशी विधायक हैं और कुम्भलगढ़ में बीजेपी के सुरेंद्र सिंह राठौड़ 6 बार से विधायक हैं. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ की 5 सीटों में चित्तौड़गढ़ से बीजेपी के चंद्रभान सिंह आक्या 2 बार से जीत रहे हैं और बड़ी सादड़ी, कपासन में भी बीजेपी का कब्जा है. वहीं निम्बाहेड़ा में बीजेपी-कांग्रेस की बराबर की टक्कर होती है