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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: गोदावरी के तट पर बना है मंदिर ,जहां विराजित हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश

भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्रयंबक गांव में त्र्यंबकेश्वर मंदिर स्थित है।
04:46 PM Feb 14, 2023 IST | BHUP SINGH
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग  गोदावरी के तट पर बना है मंदिर  जहां विराजित हैं  ब्रह्मा  विष्णु और महेश

भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्रयंबक गांव में त्र्यंबकेश्वर मंदिर स्थित है। पवित्र गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के समीप स्थित इस मंदिर की बहुत महिमा है। पुराणों के अनुसार गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या ने भगवान शिव से इस स्थान पर वास करने की प्रार्थना की थी। जगह के नाम से इस ज्योतिर्लिंग का नाम त्र्यंबकेश्वर हो गया। यह एक ही ज्योतिर्लिंग है जहां तीनो देवता,ब्रह्मा,विष्णु और महेश एक साथ विराजमान हैं। यह इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता है। अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में केवल भगवान शिव ही विराजित है।

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कथा:गौतम ऋषि को किया था गोहत्या से मुक्त

इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा शिव पुराण में बताई गई है। प्राचीन काल में त्र्यंबक ,गौतम ऋषि की तपोभूमि थी ।वो यहां अपनी अहिल्या के साथ रहते थे।एक बार उनके ऊपर गो-हत्या का पाप लगा।इस गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप किया और शिव से गंगा को यहां अवतरित करने कर वरदान मांगा। इसके फलस्वरुप दक्षिण की गंगा अर्थात् गोदावरी नदी का उद्गम हुआ। इसके साथ ही गौतम ऋषि ने महादेव से वहीं वास करने के लिए कहा। तीन नेत्रों वाले शिव-शंभु के यहां विराजमान होने से इस मंदिर को त्र्यंबकेश्वर के नाम से जाना गया। यहां ब्रह्मगिरी की पहाड़ी पर गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। मंदिर के अंदर एक गड्डे में तीन छोटे-छोटे पिंड हैं जो ब्रह्मा,विष्णु और शिव,इन तीनों के प्रतीक माने जाते हैं।

निर्माण:सिंधु -आर्य शैली में बना है मंदिर

गोदावरी नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरो से बना है। इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात् नाना साहब पेशवा ने करवाया था।इस मंदिर का जीर्णोद्धार सन् 1755 में शुरु हुआ था और 31 साल में पूरा हुआ था। 1786 में पूरे हुए इस मंदिर के निर्माण में 16 लाख रुपये खर्च हुए थे ,जो उस समय बड़ी रकम मानी जाती थी। मंदिर का स्थापत्य अद्भुत है।

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त्र्यंबकेश्वर मंदिर ,सिंधु -आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में प्रवेश करने के बाद शिवलिंग का आधार दिखाई देता है।गौर से देखने पर आधार के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। इन लिंगों को त्रिदेव ब्रह्मा,विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। प्रात:काल की पूजा के बाद इय आधार पर चांदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है।

त्रयंबक गांव के राजा हैं त्र्यंबकेश्वर

उज्जैन और ओंकारेश्वर की तरह त्र्यंबकेश्वर महाराज को ,त्रयंबक गांव का राजा माना जाता है। यहां हर सोमवार को त्र्यंबकेश्वर राजा ,अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण करते हैं। इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि और सावन के महिने में त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के पंचकोशी में कालसर्प शांति,त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा करवाई जाती है। यह पूजा श्रद्धालु भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर करवाई जाती है।

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कैसे जायें

सड़क मार्ग से यह नासिक शहर से जुड़ा है जो 30 किमी दूर है। हवाई मार्ग से आने वालों के लिए नजदीकी हवाई अड्डा मुंबई का छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा है। रेल मार्ग से आने वालों के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।

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