ट्रेन एक्सीडेंट रोकने वाले सिस्टम की फ्री में होगी पढ़ाई, कुछ महीने में पूरा होगा कोर्ट, ऐसे ले एडमिशन
Railway Protection System:ट्रेन हादसो को रोकने के लिए काम आने वाले सिस्टम की जोधपुर में पढाई करवाई जाएगी। इसमें अच्छी बात यह है कि विद्यार्थियों से किसी प्रकार की फीस विश्वविद्यालय द्वारा नही ली जाएगी। 6 महीने से 2 साल तक का यह कोर्स रहने वाला है। जोधपुर में रेलवे कवच सिस्टम की पढाई करवाई जाएगी। इसके लिए इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नलिंग एंड टेलीकम्युनिकेशंस (इरिसेट) सिकंदराबाद (तेलंगाना) और मंगनी राम बांगड़ मेमोरियल (एमबीएम) विश्विद्यालय के बीच एमओयू हुआ है। इंजीनियरिंग करने वाला कोई भी स्टूडेंट इसे अपने कोर्स के साथ ही कर सकेगा। यूनिवर्सिटी की ओर से इसकी कोई फीस नहीं ली जाएगी। इसके तहत आने वाला खर्च रेलवे वहन करेगा।
5 साल के लिए किए गए एमओयू हस्ताक्षर
रेलवे में कवच प्रणाली का जनक कहे जाने वाले इरिसेट के प्रधान कार्यकारी निदेशक ललित कुमार मनसुखानी और एमबीएम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अजय कुमार शर्मा ने 5 साल के एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों संस्थान 'कवच' प्रणाली में रिसर्च और डेवलपमेंट में भी सहयोग करेंगे। साथ ही कोर्स करने वाले स्टूडेंट इस प्रणाली की जानकारी ले सकेंगे।
इनको मिलेगा इस एमओयू का फायदा
इस एमओयू का फायदा कम्प्यूटर साइंस, IT, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स इन IOT, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल के स्टूडेंट्स को मिलेगा, जिनके लिए रेलवे के एडवांस सिग्नलिंग और कवच पर ऑप्शनल कोर्स शुरू किए जाएंगे।
ऐसे काम करता है कचर सिस्टम
'कवच एक ऑटोमैटिक रेल प्रोटेक्शन की टेक्नोलॉजी है। इसमें ये होता है कि मान लीजिए दो ट्रेन गलती से एक ही ट्रैक पर आ गई तो उसके पास आने से पहले कवच सिस्टम ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक देगा, जिससे एक्सीडेंट होने से बच जाएगा। इससे रेल हादसों पर पूर्णत: से अंकुश लग सकेगा।
यह प्रयास मील का पत्थर होगा साबित
सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए रेलवे द्वारा प्रयास तो किए जाते रहे है ऐसे में यह प्रयास भी मील का पत्थर साबित होने वाला है। रेलवे के डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया- इससे रेलवे के वर्कर क्लास में मैन पावर की कमी नहीं रहेगी। साथ ही रेलवे का सुरक्षा तंत्र और भी अधिक मजबूत होगा। इससे इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में रेलवे एडवांस सिग्नलिंग और कवच पर कोर्स उपलब्ध होगा। दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग, समन्वय और निगरानी के लिए सीनियर प्रोफेसर आईटी और कवच सिकंदराबाद की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति का गठन भी होगा। इसमें एमबीएम इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के समन्वयक सह अध्यक्ष होंगे और कॉलेज के कुलपति की ओर से नामित दो प्रतिनिधि और इरिसेट सिकंदराबाद के दो प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे।
यह रहेगा कोर्स
इरिसेट अपने अत्याधुनिक क्लासेज और लैब में सिग्नलिंग, दूरसंचार और स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) - कवच पर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग करवाता है। इस MOU में, एमबीएम यूनिवर्सिटी रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और कवच पर शॉर्ट-टर्म PG डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करेगा, जो 6 महीने से लेकर 2 साल तक के होंगे।
कैसे काम करता है यह कवच सिस्टम जानिए
इस टेक्नोलॉजी में इंजन माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी GPS और रेडियो संचार के माध्यम से सिग्नल सिस्टम और कंट्रोल टावर से जुड़ा होता है। यह ट्रेन के ऐसे दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकता है, जिनमें रेल कवच सिस्टम काम कर रहा हो।