1 मई से बदलेगा टोल सिस्टम, सड़को पर होगा नया अनुभव
1 मई 2025 से भारत में सड़क यात्रा करने का अनुभव पूरी तरह बदलने वाला है। GPS आधारित टोल सिस्टम की शुरुआत के साथ अब टोल प्लाज़ा पर रुकना, फास्टैग स्कैन करना या लंबी कतारों में फँसना बीते ज़माने की बात होगी। सरकार देशभर में एक नई डिजिटल व्यवस्था लागू करने जा रही है, जो न सिर्फ ट्रैफिक जाम से राहत दिलाएगी बल्कि टोल वसूली को पूरी तरह पारदर्शी और सटीक बनाएगी।
यह बदलाव भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक बड़ी पहल है, जो देश को ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर एक और कदम आगे ले जाता है।
क्या है GPS आधारित टोल सिस्टम?
GPS आधारित टोल सिस्टम एक ऐसा तकनीकी समाधान है जिसमें टोल टैक्स वसूली के लिए अब गाड़ियों को किसी टोल प्लाज़ा पर रुकने की ज़रूरत नहीं होगी। इस सिस्टम के तहत हर वाहन में एक On-Board Unit (OBU) लगाया जाएगा। यह यूनिट GPS टेक्नोलॉजी से लैस होगी और वाहन की लोकेशन, मूवमेंट और तय की गई दूरी को ट्रैक करेगी।
जैसे ही वाहन किसी टोल ज़ोन में प्रवेश करेगा, यह यूनिट स्वतः दूरी मापेगी और उसी के अनुसार टोल शुल्क आपके बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से काट लिया जाएगा। न कोई पर्ची, न कोई स्कैनिंग — सब कुछ होगा ऑटोमेटिक और रियल टाइम।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
अब तक भारत में टोल वसूली फास्टैग सिस्टम के जरिए हो रही है। 2016 में जब फास्टैग लागू हुआ, तब यह एक बड़ी प्रगति मानी गई। लेकिन वक्त के साथ इसमें तकनीकी खामियाँ सामने आने लगीं — जैसे स्कैनिंग फेल होना, सर्वर डाउन रहना, डबल चार्जिंग, और टोल प्लाज़ा पर अनावश्यक जाम।
GPS आधारित टोल सिस्टम इन सभी दिक्कतों का समाधान लेकर आया है। यह सिस्टम पूरी तरह कॉन्टैक्टलेस, पेपरलेस और सटीक है, जिससे न केवल यात्री का समय बचेगा बल्कि टोल वसूली में पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
चरणबद्ध तरीके से होगा लागू
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, यह सिस्टम देशभर में फेज़-वाइज़ लागू किया जाएगा। पहले चरण में इसे ट्रकों, बसों और अन्य कॉमर्शियल वाहनों पर लागू किया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे यह निजी गाड़ियों में भी अनिवार्य किया जाएगा।
इसके लिए गाड़ियों में OBU डिवाइस लगवाना अनिवार्य होगा। इसे वाहन खरीदते समय ही इंस्टॉल किया जाएगा या बाद में अधिकृत केंद्रों से लगवाया जा सकेगा।
पर्यावरण और ईंधन की भी होगी बचत
GPS आधारित टोलिंग का एक बड़ा फायदा पर्यावरण को भी मिलेगा। जब गाड़ियाँ टोल पर नहीं रुकेंगी और ट्रैफिक फ्लो लगातार बना रहेगा, तो इससे ईंधन की बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह सिस्टम “ग्रीन ट्रांसपोर्ट” की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत की स्मार्ट यात्रा की ओर एक और कदम
इस नई व्यवस्था के लागू होते ही भारत का हाईवे नेटवर्क और भी आधुनिक हो जाएगा। यात्रियों को सटीक दूरी का टोल देना होगा — न ज़्यादा, न कम। इससे न केवल ट्रैवलिंग एक्सपीरियंस बेहतर होगा, बल्कि टोल चोरी और गलत चार्जिंग जैसी समस्याएं भी काफी हद तक समाप्त हो जाएंगी।
GPS आधारित टोल सिस्टम न सिर्फ भारत के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को स्मार्ट बनाएगा, बल्कि यह एक बड़ा डिजिटल रिफॉर्म भी साबित होगा। फास्टैग ने जिस डिजिटलीकरण की शुरुआत की थी, GPS टोलिंग उसे और बेहतर स्तर पर ले जाने वाला है।
तो अब तैयार हो जाइए एक नए युग के लिए — जहाँ सफर होगा बेझिझक, टोल टैक्स कटेगा सटीक और आपकी यात्रा होगी पूरी तरह स्मार्ट।