इस बार संन्यासी और गृहस्थी एक ही दिन 18 फरवरी को मनाएंगे महाशिवरात्रि पर्व
जयपुर। भोलेनाथ की आराधना का महा शिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। इस बार यह पर्व कई मायनों में खास रहेगा। इस दिन आकाशीय ग्रह-नक्षत्रों की अनूठी युति शिव आराधना को श्रेष्ठ और मंगलकारी बनाएगी। साथ ही इस बार खासियत यह भी है कि सन्यासी और गृहस्थी एक ही दिन यह पर्व मनाएंगे। ज्योतिषियों की माने तो महा शिवरात्रि पर्व पर सर्वार्थसिद्धि, व्यतिपात और शनि प्रदोष योग के बीच भगवान शिव की पूजा-आराधना श्रेष्ठ और खुशहाली प्रदान करने वाली रहेगी। झोटवाड़ा रोड स्थित पीपलेश्वर महादेव मंदिर के महंत और ज्योतिष मर्मज्ञ पं. केदारनाथ दाधीच ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्वफाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
इस बार त्रियोदशी तिथि 17 फरवरी, शुक्रवार को रात्रि 11.37 बजे शुरू होगी जो 18 फरवरी, शनिवार को रात्रि 8.03 बजे तक रहेगी और इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पूजा निशीथ काल में किए जाने का विधान है। शनिवार को निशीथ काल रात्रि 12.15 से 1.06 बजे तक रहेगा। इस दौरान चतुर्दशी तिथि भी रहेगी। इसलिए महाशिव रात्रि का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी दिन प्रदोष और व्यतिपात पुण्य भी रहेगा। ऐसे में महा शिवरात्रि पर्व पर भोलेनाथ की पूजा-आराधना कई गुना पुण्यकारी रहेगी। महा शिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग शाम 5:42 बजे से शुरू होगा जो दूसरे दिन सूर्योदय तक रहेगा।
30 साल बाद सूर्य, शनि एक राशि में
महाशिव रात्रि पर्व के दौरान इस बार सूर्य और शनि की युति का श्रेष्ठ योग बना है। भगवान सूर्य देव और उनके पुत्र शनि का 30 साल बाद एक राशि में मिलन हुआ है। कुंभ राशि में शनि पहले से ही थे वहीं 13 फरवरी को सूर्य भी शनि की राशि में आ गए हैं। यूं तो सूर्य और शनि परस्पर शत्रू ग्रह हैं, लेकिन कुंभ शनि की राशि है। ऐसे में अपने घर आए हुए पिता का शनि सम्मान करते हैं। इसके चलते ये दोनों ग्रह एक-दूसरे की राशि वाले जातकों को राहत प्रदान करने वाले रहेंगे। अभी ये दोनों ग्रह कुंभ राशि में शुक्र के साथ त्रिग्रही योग बनाए हुए हैं, लेकिन बुधवार को शुक्र रात्रि 8.02 बजे मीन राशि में प्रवेश कर जाएं गे।
सर्वार्थसिद्धि योग में श्रेष्ठ रहेगी चार प्रहर पूजा
महाशिव रात्रि के पर्व पर इस बार सर्वार्थसिद्धि योग शाम 5.42 बजे से शुरू हो जाएगा जो कि सूबह सूर्योदय तक रहेगा। ऐसे में भोलेनाथ की चार प्रहर पूजा इस योग में करना अतिश्रेष्ठ रहेगा। प्रथम प्रहर की पूजा शाम 6.16 से रात्रि 9.28 बजे तक, दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि 9.29 बजे से 12.40 बजे तक, तीसरे प्रहर की पूजा मध्य रात्रि 12.41 से 3.52 बजे तक एवं चोथे प्रहर की पूजा मध्यरात्रि बाद 3.53 से सुबह 7.04 बजे तक की जा सकेगी। वहीं निशीथ काल की पूजा रात्रि 12.15 से 1.06 बजे तक की जा सके गी। इस दौरान भोलेनाथ का गंगाजल, दूध, ईख रस व फूलों के रस से अभिषेक कर मनोवांछित फल की प्राप्ति की जा सकती है।