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राज्यपाल ओम माथुर के अभिनंदन समारोह में अपने भाषण से वसुंधरा राजे ने कुछ इस तरह खींचा सभी का ध्यान,यह कार्यक्रम इसलिए रहा काफी चर्चाओं में

11:33 AM Sep 04, 2024 IST | Anand Kumar

Vasundhra raje: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का राजस्थान आने पर उनका जयपुर के अंदर एक भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। अभिनंदन कार्यक्रम में सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दिया कुमारी और प्रेमंचद बैरवा समेत विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, राजेंद्र राठौड़ सभी पहुंचे थे. लेकिन इस कार्यक्रम में सभी का ध्यान राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन से खींचा है.इस दौरान वसुंधरा राजे का भाषण काफी चर्चाओं में रहा। वसुंधरा राजे का अलग अंदाज में भाषण ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

वसुंधरा राजे का भाषण जो चर्चाओं में

वसुंधरा राजे अपने भाषण के लिए काफी चर्चाओं में रहती हैं. वसुंधरा अपने भाषण में ऐसी बातें बोल जाती हैं जिससे सभी का ध्यान आकर्षित हो जाता है. इस कार्यक्रम में भी वसुंधरा राजे ने अपने अंदाज में भाषण दिया है.

पीतल की लौंग क्या मिल जाती वह अपने आप को समझ बैठते सर्राफ,राजे

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन में कहा कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंचे है. लेकिन इनके पैर सदा जमीन पर रहे हैं. इसलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं. वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सर्राफ समझ बैठते हैं.वसुंधरा राजे ने कहा कि लोगों को ओम माथुर से सीख लेनी चाहिए कि 'चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, लेकिन पांव वह हमेशा जमीं पर रखो.इस तरह के भाषण ने एक बार कार्यक्रम में सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

राजे ने माथुर को बताया अच्छा घुड़सवार

वसुंधरा राजे ने अपने भाषण में ओम माथुर को प्रधानमंत्री मोदी का करीबी बताते हुए कहा कि माथुर ऊपर से गरम और भीतर से नरम है। जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कमल खिला कर असंभव को संभव किया. विपक्षी कुछ भी कहें गवर्नर रबर स्टैंप नहीं, Iron fist in a velvet glove होता है. फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही
दौड़ेगा.माथुर कुशल घुड़सवार हैं. जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है.

राज्य के गवर्नर ही होता है सबसे शक्तिशाली,वसुंधरा राजे

राजे ने संबोधन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है. वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता हैं, लेकिन अनुच्छेद 166(2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम है. अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफ़ारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं. इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है. संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं,वै से ही राज्य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे. इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है.

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