Pearl Farming : रेगिस्तान में मोती उगा रहा ये किसान, 15 रुपए की सीप से कमा रहा 15 लाख, परिवार का गुजारा चलाने के लिए शुरू की थी मोती की खेती
भारती के पर्ल फार्मिंग की दूर-दूर तक चर्चा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने भी उनके कार्य की सराहना की है।
Pearl Farming :मोती की खेती समुद्री इलाकों में की जाती है लेकिन सीकर जिले के बाय कस्बे के विनोद भारती ने राजस्थान जैसे डेजर्ट एरिया में भी मोती की खेती कर असंभव कार्य को संभव कर दिखाया है। विनोद भारती पिछले 6 साल से पर्ल फार्मिंग कर रहे हैं। भारती 5 हजार वर्ग फीट के फार्म पोंड से सालाना 15 लाख रुपए रुपए कमा रहे हैं। मोती की खेती के कारण क्षेत्र के लोग विनोद भारती को मोती वाले बाबा के नाम से जानते हैं। भारती के पर्ल फार्मिंग की दूर-दूर तक चर्चा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने भी उनके कार्य की सराहना की है।
परिवार का गुजारा चलाने के लिए शुरू की थी पर्ल फार्मिंग
पर्ल फार्मिंग करने वाले किसान विनोद भारती ने बताया कि उन्होंने 7 साल पहले 2016 में मोती की खेती की शुरूआत करनी थी। उन्होने स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद कंप्यूटर में डिप्लोमा किया और कंप्यूटर शिक्षक बने।लेकीन इससे वे परिवार का गुजारा नहीं चला सका इस कारण वे अलग-अलग काम ढूंढने की कोशिश करने लगे बहुत काम ढूंढने के बाद उन्हें मोती की खेती के बारे में पता चला। उन्होंने इसके बारे में यूट्यूब पर देखा और अनेकों जानकारियां जुटाई. इंटरनेट पर मोती की खेती के वीडियो देखें।
भारती को एक वैज्ञानिक ने बताया कि वातावरण को अनुकूल बनाकर राजस्थान जैसे डेजर्ट क्षेत्र में भी मोती की खेती की जा सकती है। पर्ल फार्मिंग की अधिक जानकारी के लिए वे उड़ीसा में गए और वहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में केंद्रीय मीठा जल जीव पालन संस्थान में 1 महीने तक मोतियों की खेती की ट्रेनिंग ली।
ट्रेनिंग लेने के बाद वे गांव लौट और छोटे स्तर पर मोती की खेती करने लगे. शुरुआत में विनोद भारती ने छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की वे उड़ीसा से 500 लाकर आए और 1 साल तक जमकर मेहनत की लेकिन उनकी मेहनत रंग नहीं लाई. कड़ी मेहनत के बाद उन्हे सिर्फ 45 सीप से मोती मिले इससे उन्हें पहली बार में बहुत नुकसान हुआ।
पहली बार हुआ भारी नुकसान, लेकिन हार नहीं मानी
विनोद भारती ने बताया कि नुकसान होने के बाद भी वे निराश नहीं हुए. परिवार ने उनकी हिम्मत बंधाई। नई ऊर्जा के साथ दुबारा उन्होंने काम शुरू किया। इस बार वे केरल से उच्च क्वालिटी के 1000 सीप लेकर आए। इस बार उन्होंने मोती से 3 गुना मुनाफा कमाया। एक साल नुकसान के बाद अब से हर साल मुनाफा कमा रहे हैं। विनोद भारती ने बताया कि पिछली साल की उनकी इनकम 15 लाख थी।
वे अब 7 साल से लगातार मोती का उत्पादन कर रहे है। पर्ल फार्मर विनोद भारती ने अब मोती की खेती के लिए 2 हजार वर्ग मीटर में फार्मिंग प्रोजेक्ट लगाया है। इसके अलावा पॉन्ड, सीप सर्जरी के लिए बिल्डिंग, ऑफिस आदि बनाया है. विनोद ने बताया कि शुरुआत में सीप से लेकर पूर्ण और काफी खर्चे मिलाकर 40 से 50 हजार में काम हो जाता था अब 50 लाख का सेटअप है। अब सीप सिर्फ उड़ीसा और केरल में मिलते हैं. सीप की प्रजातियां अलग-अलग है।
केरल व उड़ीसा एसी ट्रेन में राजस्थान लाए जाते हैं मोती
विनोद भारती ने बतायाकि अच्छी क्वालिटी कि सीप 15 में आ जाती है हालांकि सर्दी में इसकी रेट 25 रूपए तक पहुंच जाती है गर्मी में रेट 15 रूपए नीचे नीचे आ जाती है और विशेष तौर पर स्पेशल बॉक्स में पैक करके ऐसी ट्रेन से उड़ीसा या केरल से लाया जाता है इसके बाद जल्द से जल्द पूर्ण में पहुंचाया जाता है इस समय सीप की रेट करीब 13 रूपए हो जाती है।
विनोद भारती ने बताया कि सीप एक जिंदा प्राणी होता है जिसका आवरण कठोर सेल से ढका होता है एक सीप से दो मोती होते हैं यह मोती सीप की लाट से 1 से 3 साल में तैयार होता है मोती प्राप्त करने के लिए सीप की सर्जरी की जाती है इसके लिए इसके सेक्टर में पूर्ण सर्जरी का सामान सीट के लिए उन्हें खुराक, सप्लीमेंट, फूड,दवा, ग्रीन नेट सभी चीजों का इंतजाम करना होता है।
सीप को नेट के जरिए पानी में रखा जाता है। पानी में सेवाल मल्टीविटामिन और चुना डाला जाता है। चुने से मोती की चमक आती है. दिन में दो बार मशीन से पानी में ऑक्सीजन दिया जाता है। पानी को 20 से 25 डिग्री के तापमान पर मेंटेन रखा जाता है।
पर्ल फार्मिंग से पैसा और मान-सम्मान दोनों मिला
विनोद भारती का कहना है कि यह उन्होंने इसमें पैसा ही नहीं मिला बल्कि मान सम्मान और समाज में इज्जत भी मिली है। पूर्व सीएम का वर्तमान सीएम नवाचार के लिए सम्मान भी कर चुके हैं। विनोद अब पर्ल फार्मिंग से जुड़ी जानकारियां व ट्रेनिग अब अनेकों किसानों को दे रहे हैं। वे बेहद गर्मी में भी किसानो को सीप की खेती करना सीखा रहे हैं।
पर्ल फार्मर विनोद भारती का कहना है कि सीप से कैसा मोती निकलेगा यह सीप की क्वालिटी पर निर्भर करता है। सीप से डिजाइन मोती, गोल्डन मोती, ब्लू लाइट मोती, व्हाइट मोती तैयार होते हैं। मोती कब और कैसे निकलेगा यह भाग्य पर निर्भर करता है।
थाईलैंड,जापान,दुबई व अरब देशों तक जाता है मोती
भारती के मोती की डिमांड थाईलैंड, जापान, दुबई सहित अनेक देशो में है। भारती बताते हैं कि पहले हालात अलग थे आज सिस्टम ऑनलाइन हो गए हैं घर बैठे ग्राहक मोती की बुकिंग करा देते हैं। सामान्य मोती की कीमत 150 रुपये प्रति कैरेट होती है इस तरह एक मोती की कीमत करीब 500 रुपए होती है जबकि तैयार होने पर तक एक मोती 50 रुपए खर्च होते है।