दशहरे पर कोटा में खास रहता है यह आयोजन,आसमान में 500 ड्रोन से दिखाई जाएगी रामायण,दशहरे मेले का 20 करोड़ का इंश्योरेंस
Kota Dashara Special:देशभर में शनिवार के दिन दशहरे के अवसर पर रावण दहन महोत्सव को खास बनाने के लिए अलग-अलग जगह कई तरह के नवाचार इस बार किए गए है मगर बात अगर राजस्थान के कोटा की करे तो यहां के रावण दहन का नजारा बडा ही अद्भूत दिखने वाला है. 3 दिन तक 500 ड्रोन से आसमान पर रामायण दिखाई जाएगी. इसमें भगवान राम से लेकर रावण तक का किरदार खास होगा. इस तरह का अद्भुत नजारा दिखेगा कोटा के आसमान में. शनिवार को मेला परिसर स्थित विजयश्री रंगमंच पर शनिवार को परंपरागत तरीके से रावण दहन किया जाएगा. कोटा के रावण दहन को देखने के लिए राज्य और देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग कोटा पहुंचे है.
रावण दहन से पहले यह भी रहता है खास
रावण दहन से पूर्व शाम करीब 6 बजे भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी गढ़ पैलेस से निकलेगी. दशहरा मैदान में रियासतकालीन परंपरा से ज्वारा पूजन और सीता जी के पाने का पूजन किया जाएगा. इसके बाद मुहूर्त अनुसार शाम 7:01 बजे से 7:31 बजे के बीच रावण दहन किया जाएगा.
यह रहेगा प्रमुख आकर्षण का केन्द्र
कोटा में आयोजित होने वाला यह रावण दहन हर बार कुछ खास तोता है इसलिए देशभर से लोग यहां आते है. इस बार ड्रोन से लाइट एंड साउंड शो प्रमुख आकर्षण रहेगा. युद्धस्तर पर मेले की तैयारियां चल रही हैं. आमंत्रित करने के लिए रोज डेढ़ लाख मैसेज भेजे जा रहे हैं. खास ये भी है कि इस बार मेले का 20 करोड़ का इंश्योरेंस कराया गया है.
1893 से चली आ रही दहन की यह परपंरा
कोटा में रावण वध और दहन की परंपरा महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के शासन काल में सन् 1893 में शुरू हुई थी.कोटा के इतिहास विशेषज्ञों की माने तो पहले रावण वध होता और इसके तीन दिन बाद तक मेला चलता था. कोटा रियासत में रावण, मेघनाद, कुंभकरण के साथ मंदोदरी और खरदूषण का वध होता था. श्रीराम रंगमंच के पास पहले मिट्टी चूने से इनके सिर बनाए जाते थे. नवमी को पंचों की बैठक होती थी. इसमें रावण से युद्ध किया जाता था, जो सांकेतिक होता था. इसकी घोषणा होने के बाद रात को मशाल जलाकर गढ़ पैलेस के तोपचियों को इशारा किया करते थे. तोप चलाई जाती थी. इसका मतलब होता था कि युद्ध की घोषणा हो गई है.
ऐसी परपंरा केवल कोटा में
इतिहासकार फिरोज अहमद बताते है कि कोटा में लंबे समय तक रावण को रावण जी कहकर बुलाया जाता था. उसके ज्ञान का सम्मान किया जाता था. रावण वध के बाद उसके सिर की लकड़ियां बिखर जाती थीं. वहां मौजूद लोग उन बिखरी हुईं लकड़ियों को बीनते थे. मान्यता थी कि रावण ज्ञानी था. जब वह हार गया और मृत्यु के द्वार पर खड़ा था तब भगवान राम ने लक्ष्मण को उसके पास दीक्षा लेने भेजा था. इसीलिए लोग उसके सिर की लड़कियां बीनते हैं.
देश विदेश में लाइव हो इसकी भी की गई व्यवस्था
कोटा मेला दशहरा इतना खास रहता है कि विदेश में बैठे लोग भी इसको देखना पसंद करते है. यहां का दशहरा देश के साथ-साथ विदेश में भी लाइव देखा जा सके, ऐसी व्यवस्था भी इस बार की गई है. इसके लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है. सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर रोज होने वाले कार्यक्रम लाइव किए जा रहे हैं. ताकि कोटा के बाहर बैठे लोग भी अपने मोबाइल, कंप्यूटर पर कोटा मेले का आनंद ले सकें. मेले के कार्यक्रमों के लिए रोज डेढ़ लाख एसएमएस भेजे जा रहे हैं ताकि लोगों को रोज होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी रहे. मेले में ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम प्रायोजित करवाए जा रहे हैं.
इसलिए कराया गया बीमा
दहशरा मेले के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को मध्यनजर रखते हुए पहली बार मेले के नाम 20 करोड़ का बीमा करवाया गया है. ताकि मेले के दौरान अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो प्रभावितों को राहत प्रदान की जा सके. झूला संचालकों से भी अलग से बीमा करवाया गया है.